
नई दिल्ली:
तेजी से आगे बढ़ने और पैसा कमाने के चक्कर में सौम्या की दिनचर्या इस कदर बदली कि अनिद्रा, तनाव जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों ने उसे जकड़ लिया।
डॉक्टर ने उसे जीवनशैली में बदलाव लाने की सलाह दी और कहा, आखिर जान है तो जहान है। कभी पश्चिमी देशों की अंधाधुंध नकल करने वाले ज्यादातर लोग स्वस्थ जीवनशैली की ओर लौटने लगे हैं, जिसकी वजह से देश में जैविक खाद्य, पर्यावरण अनुकूल उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और हर जगह लोग योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की शरण में जा रहे हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की डायटीशियन मिनी बाली ने बताया, हमारे यहां आने वाले ज्यादातर लोग मोटापे से परेशान हैं। शारीरिक श्रम व खेलकूद नहीं करने से किशोर मोटापे का शिकार हो रहे हैं, हालांकि अब माता-पिता बच्चों को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
प्राकृतिक चिकित्सक डॉक्टर अनिल बंसल ने कहा, लोग दवाइयों के साइड इफेक्ट से बचने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा ले रहे हैं। सूर्योदय से पहले उठना और सूर्य की किरणें ग्रहण करना भी निरोगी रहने का सटीक नुस्खा है। लोग तेजी से अपने खानपान की आदतों में बदलाव ला रहे हैं।
लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता की वजह से कोल्ड ड्रिंक की मांग तेजी से घटी है और लोगों ने फलों के रस को तरजीह देना शुरू कर दिया है। एसोचैम के एक सर्वेक्षण में 79 प्रतिशत लोगों ने गैर-काबरेनेटेड, पैकेज्ड फ्रूट ड्रिंक्स को अपनी पहली पसंद बताया। भारत के पारंपरिक पेय पदार्थों में लोग लस्सी, छाछ, शर्बत, ठंडाई, शिकंजी, नींबू पानी, बादाम दूध और नारियल पानी को तरजीह देते हैं।
शुद्ध खानपान के प्रति लोगों का रुझान बढ़ने से देश में जैविक खाद्य उत्पादों का बाजार सालाना 20.22 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। जैविक खाद्य बाजार पर यस बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में रसायन रहित खाद्य, जैविक और प्राकृतिक उत्पादों के बारे में जागरूकता काफी बढ़ी है।
भारत में जैविक खाद्य उत्पादों का बाजार अभी 1,000 करोड़ रुपये का है और देश में करीब 38.8 करोड़ टन प्रमाणित जैविक उत्पादों का उत्पादन किया जाता है, जिसमें बासमती चावल, दाल, चाय, काफी, मसाले और तिलहन शामिल हैं।
सरकार नेशनल प्रोजेक्ट ऑन आर्गेनिक फार्मिंग, नेशनल होर्टिकल्चर मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
डॉक्टर ने उसे जीवनशैली में बदलाव लाने की सलाह दी और कहा, आखिर जान है तो जहान है। कभी पश्चिमी देशों की अंधाधुंध नकल करने वाले ज्यादातर लोग स्वस्थ जीवनशैली की ओर लौटने लगे हैं, जिसकी वजह से देश में जैविक खाद्य, पर्यावरण अनुकूल उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और हर जगह लोग योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की शरण में जा रहे हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की डायटीशियन मिनी बाली ने बताया, हमारे यहां आने वाले ज्यादातर लोग मोटापे से परेशान हैं। शारीरिक श्रम व खेलकूद नहीं करने से किशोर मोटापे का शिकार हो रहे हैं, हालांकि अब माता-पिता बच्चों को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
प्राकृतिक चिकित्सक डॉक्टर अनिल बंसल ने कहा, लोग दवाइयों के साइड इफेक्ट से बचने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा ले रहे हैं। सूर्योदय से पहले उठना और सूर्य की किरणें ग्रहण करना भी निरोगी रहने का सटीक नुस्खा है। लोग तेजी से अपने खानपान की आदतों में बदलाव ला रहे हैं।
लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता की वजह से कोल्ड ड्रिंक की मांग तेजी से घटी है और लोगों ने फलों के रस को तरजीह देना शुरू कर दिया है। एसोचैम के एक सर्वेक्षण में 79 प्रतिशत लोगों ने गैर-काबरेनेटेड, पैकेज्ड फ्रूट ड्रिंक्स को अपनी पहली पसंद बताया। भारत के पारंपरिक पेय पदार्थों में लोग लस्सी, छाछ, शर्बत, ठंडाई, शिकंजी, नींबू पानी, बादाम दूध और नारियल पानी को तरजीह देते हैं।
शुद्ध खानपान के प्रति लोगों का रुझान बढ़ने से देश में जैविक खाद्य उत्पादों का बाजार सालाना 20.22 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। जैविक खाद्य बाजार पर यस बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में रसायन रहित खाद्य, जैविक और प्राकृतिक उत्पादों के बारे में जागरूकता काफी बढ़ी है।
भारत में जैविक खाद्य उत्पादों का बाजार अभी 1,000 करोड़ रुपये का है और देश में करीब 38.8 करोड़ टन प्रमाणित जैविक उत्पादों का उत्पादन किया जाता है, जिसमें बासमती चावल, दाल, चाय, काफी, मसाले और तिलहन शामिल हैं।
सरकार नेशनल प्रोजेक्ट ऑन आर्गेनिक फार्मिंग, नेशनल होर्टिकल्चर मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
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