India Coronavirus: भारत जल्द ही COVID पॉजिटिव के मामलों में दस लाख से अधिक के आंकड़े को पार कर जाएगा लेकिन इससे बचाव की जीवन रक्षक दवाएं या तो उपलब्ध नहीं हैं या ब्लैक मार्केट में बेची जा रही हैं. इस मुद्दे को गृह मामलों की संसदीय पैनल के सदस्यों ने उठाया था. संसदीय पैनल ने सरकार को COVID-19 उपचार के लिए दवाएं सस्ती बनाने और आसानी से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
स्थायी समिति के एक सदस्य ने खुलासा किया, "सरकार को न केवल COVID-19 के लिए सस्ती और आसानी से उपलब्ध घरेलू दवाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, बल्कि फार्मा कंपनियों द्वारा दी जाने वाली महंगी दवाओं की सिफारिश और कीमतों की भी जांच करें." उनके अनुसार गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने यह भी मांग की है कि COVID-19 दवाओं की अधिकतम कीमत को कैप किया जाए.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और अन्य अधिकारी कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में उपस्थित थे. पैनल के सूत्रों ने कहा कि समिति के सदस्यों ने सवाल किया कि महंगी दवाओं को अक्सर COVID-19 उपचार के लिए क्यों अनुशंसित किया जाता है. समिति के सदस्यों ने दवाओं की कालाबाजारी पर चिंता व्यक्त की.
तीन सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवाओं के नामों का उल्लेख करते हुए समिति के सदस्यों ने सवाल किया कि समान रूप से प्रभावी होने के बावजूद उनका प्रचार क्यों नहीं किया जा रहा है.
इस बीच सरकार ने यह भी बताया कि केंद्र ने राज्यों को जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए पत्र लिखे हैं. एक अधिकारी ने बताया, "हम मृत्यु दर को एक प्रतिशत से नीचे लाने के लिए काम कर रहे हैं और इसमें हमने दवाओं की बिक्री के बारे में राज्यों को आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए हैं."
VIDEO : दवा की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने उठाए कदम
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