नई दिल्ली:
केन्द्र द्वारा प्रस्तावित अध्यादेश में वैवाहिक बलात्कार के लिए भी कड़ी सजा का प्रावधान है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा शुक्रवार को मंजूर प्रस्तावित अध्यादेश के अनुसार अलगाव के दौरान किसी पति के पत्नी के साथ उसकी इच्छा के बगैर यौन संबंध बनाने पर सात साल तक की जेल होगी।
न्यायमूर्ति जेएस वर्मा समिति ने सिफारिश की थी कि भारतीय दंड संहिता की धारा-376 ए (अलगाव के दौरान पति द्वारा पत्नी से यौन संबंध बनाना) को समाप्त किया जाए। इस समय इस अपराध के लिए अधिकतम दो साल की जेल की सजा का प्रावधान है। सरकार ने इस अपराध के लिए जेल की सजा को दो साल से बढ़ाकर अधिकतम सात साल कर दिया है।
गृहमंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हमने दंड बढ़ा दिया है, लेकिन तय किया है कि पति-पत्नी को सुलह करने का मौका देने वाला प्रावधान बरकरार रहेगा।
अब तक धारा ‘376 ए’ असंज्ञेय अपराध था लेकिन प्रस्तावित अध्यादेश इसे संज्ञेय अपराध बनाता है। कई महिला संगठनों ने धारा-376 ए को हटाने की मांग की थी, जैसा वर्मा समिति ने सिफारिश की है। अब इन महिला संगठनों ने राष्ट्रपति से यह अपील करने का इरादा किया है कि वह प्रस्तावित अध्यादेश पर दस्तखत न करें।
महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए आपराधिक कानूनों को और अधिक कड़ा बनाने के उद्देश्य से केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कल रात अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसमें यदि बलात्कार की शिकार की मौत होती है या वह कोमा जैसी स्थिति में आती है तो बलात्कारी को सजा-ए-मौत भी हो सकती है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा शुक्रवार को मंजूर प्रस्तावित अध्यादेश के अनुसार अलगाव के दौरान किसी पति के पत्नी के साथ उसकी इच्छा के बगैर यौन संबंध बनाने पर सात साल तक की जेल होगी।
न्यायमूर्ति जेएस वर्मा समिति ने सिफारिश की थी कि भारतीय दंड संहिता की धारा-376 ए (अलगाव के दौरान पति द्वारा पत्नी से यौन संबंध बनाना) को समाप्त किया जाए। इस समय इस अपराध के लिए अधिकतम दो साल की जेल की सजा का प्रावधान है। सरकार ने इस अपराध के लिए जेल की सजा को दो साल से बढ़ाकर अधिकतम सात साल कर दिया है।
गृहमंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हमने दंड बढ़ा दिया है, लेकिन तय किया है कि पति-पत्नी को सुलह करने का मौका देने वाला प्रावधान बरकरार रहेगा।
अब तक धारा ‘376 ए’ असंज्ञेय अपराध था लेकिन प्रस्तावित अध्यादेश इसे संज्ञेय अपराध बनाता है। कई महिला संगठनों ने धारा-376 ए को हटाने की मांग की थी, जैसा वर्मा समिति ने सिफारिश की है। अब इन महिला संगठनों ने राष्ट्रपति से यह अपील करने का इरादा किया है कि वह प्रस्तावित अध्यादेश पर दस्तखत न करें।
महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए आपराधिक कानूनों को और अधिक कड़ा बनाने के उद्देश्य से केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कल रात अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसमें यदि बलात्कार की शिकार की मौत होती है या वह कोमा जैसी स्थिति में आती है तो बलात्कारी को सजा-ए-मौत भी हो सकती है।
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