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This Article is From Nov 23, 2016

नोटबंदी के खिलाफ सोमवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगा एकजुट विपक्ष

नोटबंदी के खिलाफ सोमवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगा एकजुट विपक्ष
नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद से बैंकों और एटीएम के बाहर लगी लंबी-लंबी लाइनों में खड़े नकदी संकट से जूझ रही जनता के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के उद्देश्य से 200 विपक्षी सांसद बुधवार सुबह संसद परिसर में पंक्तिबद्ध होकर चलते दिखाई दिए.

विपक्षी दलों का कहना है कि वे इस विरोध प्रदर्शन को देशव्यापी रूप देंगे, और अगले सोमवार, यानी 28 नवंबर को प्रदर्शनों तथा जुलूसों का अलग-अलग आह्वान करेंगी. वाम नेता सीताराम येचुरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा, "हम अलग-अलग मार्च करेंगे, और मिलकर हमला बोलेंगे..."

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सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार के इस कदम (नोटबंदी) से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काले धन और आतंकवाद से लड़ने की मंशा पूरी नहीं होगी. वाम नेता ने कहा, "अब तक कथित रूप से 74 लोग जान गंवा चुके हैं... गरीब ही परेशानी झेल रहा है... 30 दिसंबर तक वैधानिक लेनदेन के लिए लोगों को पुराने नोट इस्तेमाल करने की छूट दी जानी चाहिए..."

कांग्रेस का आरोप है कि सरकार जनता को उन्हीं का पैसा खर्च करने देने में नाकाम रही है, और पार्टी की योजना है कि 28 नवंबर को सभी जिलों तथा राज्यों की राजधानियों विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे. इसके अलावा कांग्रेस बैंकों के बाहर भी विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगी.

बुधवार सुबह विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने विमुद्रीकरण को 'बिना सोचे-समझे किया गया दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय प्रयोग' करार दिया, और कहा कि पूरा विपक्ष एकजुट होकर चुनिंदा लोगों को पहले से विमुद्रीकरण की जानकारी दिए जाने के आरोप की संयुक्त संसदीय समिति से जांच करवाए जाने की अपनी मांग पर डटा है.

उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दल भ्रष्टाचार और काले धन से लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन 'एक अरब लोगों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए...'

बुधवार को किए गए विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) तथा वामदलों के सांसद शामिल थे.

संसद में सरकार पर हमला बोलने के लिए समूचा विपक्ष एकजुट है, और दोनों सदनों की कार्यवाही को बाधित करते हुए इस मांग पर अड़ा है कि प्रधानमंत्री को राज्यसभा में नोटबंदी के मुद्दे पर रुख स्पष्ट करना चाहिए. विपक्ष लोकसभा में भी बहस के बाद मतविभाजन की मांग पर डटा हुआ है.

सरकार ने फिलहाल दोनों मांगों को खारिज कर दिया है.

बुधवार को प्रधानमंत्री लोकसभा में मौजूद थे, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा, क्योंकि वह मतविभाजन के वादे के साथ बहस कराने की मांग पर अड़ा हुआ था.

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