डॉक्टरों की राय- लोगों को कोविड-19 की जांच करानी चाहिए, मास्क फिर से अनिवार्य किया जाए

दिल्ली में दो सप्ताह में कोरोना संक्रमण दर 0.5 प्रतिशत से 5.33 प्रतिशत पर पहुंच गई, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक 20 अप्रैल को

डॉक्टरों की राय- लोगों को कोविड-19 की जांच करानी चाहिए, मास्क फिर से अनिवार्य किया जाए

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

दिल्ली में कोविड-19 की संक्रमण दर पांच प्रतिशत से ज्यादा होने के बीच डॉक्टरों ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर लोगों को जांच करानी चाहिए और संक्रमण रोकने के लिए मास्क पहनना अनिवार्य करने की जरूरत है. राष्ट्रीय राजधानी में दो सप्ताह में संक्रमण दर 0.5 प्रतिशत से 5.33 प्रतिशत पर पहुंच गई है. स्थिति को लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की बैठक 20 अप्रैल को होने वाली है. इस बीच, डॉक्टरों ने कहा कि मामलों और संक्रमण दर में वृद्धि के मद्देनजर बैठक पहले होनी चाहिए थी.

दिल्ली में शनिवार को कोविड-19 के 461 मामने आए और संक्रमण दर 5.33 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि दो लोगों की मौत भी हुई. शुक्रवार को संक्रमण के 366 मामले आए थे. इससे पहले दिल्ली में एक फरवरी को संक्रमण दर 5.09 प्रतिशत थी, जबकि 31 जनवरी को यह दर 6.2 प्रतिशत थी.

प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया कि मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर जांच बढ़ाने की आवश्यकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी ‘‘किसी भी कठोर प्रतिबंध'' की आवश्यकता नहीं है. लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, ‘‘लक्षण दिखने पर भी कई लोग जांच नहीं करवा रहे हैं. अब फिर से मामले बढ़ रहे हैं. मैं लोगों से अनुरोध करता हूं कि लक्षण दिखने पर जांच करा लेनी चाहिए. पृथक-वास में रहने वालों को भी जांच करानी चाहिए.''

दिल्ली सरकार के एक प्रमुख कोविड-19 अस्पताल में आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ ऋतु सक्सेना ने कहा कि अब बड़े जमावड़े से बचना चाहिए और लोगों को मास्क पहनना चाहिए तथा कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करना चाहिए. दिल्ली सरकार ने दो अप्रैल को मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना लगाने पर रोक लगा दी थी. डॉ. सक्सेना ने कहा कि डीडीएमए की 20 अप्रैल को होने वाली बैठक के मद्देनजर ‘‘हमें कुछ पाबंदियों के फिर से लागू होने की उम्मीद है.''

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अस्पताल में कोविड-19 मरीजों के लिए 250 बिस्तर आरक्षित हैं और स्थिति को देखते हुए एक बार फिर सभी सुविधाओं को संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित किया जा सकता है. वर्तमान में गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) में पांच मरीज हैं, लेकिन वेंटिलेटर पर कोई नहीं है.''

अपोलो अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट (इंटरनल मेडिसिन) डॉ सुरनजीत चटर्जी ने कहा कि अस्पताल में अभी कम मरीज भर्ती हैं लेकिन संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए उन्होंने ‘तार्किक' और ‘कड़े' उपायों की पैरवी की. उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली के हालात को देखते हुए डीडीएमए की बैठक थोड़ी पहले होनी चाहिए थी. साथ ही, मास्क को फिर से अनिवार्य करने की जरूरत है.'' डॉक्टर ने कहा कि बाजारों और कार्यालयों को बंद करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अर्थव्यवस्था महामारी की तीन लहरों से पहले ही भारी नुकसान उठा चुकी है. डॉ चटर्जी ने कहा, ‘‘लेकिन स्थिति बदल रही है इसलिए करीबी नजर बनाए रखने की जरूरत है.''

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कई प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने इस सप्ताह की शुरुआत में आगाह किया था कि मास्क पहनने की जरूरत खत्म किए जाने के बाद लोगों के बीच ढिलाई की भावना बढ़ गई है. संक्रमण दर में लगातार वृद्धि ने दिल्ली में कोरोना वायरस महामारी की संभावित नई लहर के बारे में चिंताएं पैदा कर दी हैं.