प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
बीजेपी ने फिर से वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा उठाया है. आज उसके कुछ सांसद इस मामले में विधि आयोग से मिले और ख़ुद अमित शाह ने चिट्ठी लिखकर कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन देश के लिए फायदेमंद है.
एक देश एक चुनाव का मुद्दा लेकर कई बीजेपी सांसद लॉ कमीशन से मिले. कमीशन ने इस सिलसिले में सुझाव मंगाए हैं. यही नहीं, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लॉ कमीशन को लिखी चिट्ठी में इसके कई फ़ायदे गिनाए. अमित शाह ने कहा - नागरिकों पर चुनावी खर्च भारी पड़ता है; एक साथ चुनावों से बढ़ती लागत पर क़ाबू पाया जा सकेगा; चुनावों की वजह से प्रशासनिक कामकाज लगातार रुकता नहीं रहेगा; और एक साथ चुनाव का विरोध राजनीतिक और अनुचित है.
लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट ने "वन नेशन, वन इलेक्शन" की सोच को खारिज करते हुए कहा है कि ये मौजूदा संवैधानिक नियमों के खिलाफ है और इससे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था कमज़ोर होगी. साथ ही, उन्होंने ये भी दावा किया है कि इसे लागू करने के लिए संविधान में अहम संशोधन करने होंगे जिसके लिए सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है.
यह भी पढ़ें : 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर मोदी सरकार को मिला रजनीकांत का साथ, कहा- इससे समय और पैसे की बचत होगी
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे अमित शाह का नया जुमला बताया और कहा कि इसे भारत जैसे देश में लागू करना संभव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए ज़रूरी संविधान संशोधन की प्रक्रिया जटिल है और सरकार के लिए इस प्रस्ताव पर संसद में बहुमत जुटाना संभव नहीं होगा.
सीपीएम नेता बृंदा करात ने कहा कि लेफ्ट इस प्रस्ताव को विरोध में है क्योंकि इससे देश में लोकतंत्र कमज़ोर होगा और राज्य विधान सभाओं का कार्यकाल समय से पहले खत्म करना अलोकतांत्रिक होगा.
VIDEO : बीजेपी की लोकसभा चुनाव की तैयारी
लेकिन एक देश एक चुनाव को लेकर जो संवैधानिक चुनौतियां हैं. वे शायद इन फ़ायदों से कहीं ज़्यादा बड़ी हैं.
इसलिए चुनाव आयोग के लिए फ़ैसला आसान नहीं है.
एक देश एक चुनाव का मुद्दा लेकर कई बीजेपी सांसद लॉ कमीशन से मिले. कमीशन ने इस सिलसिले में सुझाव मंगाए हैं. यही नहीं, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लॉ कमीशन को लिखी चिट्ठी में इसके कई फ़ायदे गिनाए. अमित शाह ने कहा - नागरिकों पर चुनावी खर्च भारी पड़ता है; एक साथ चुनावों से बढ़ती लागत पर क़ाबू पाया जा सकेगा; चुनावों की वजह से प्रशासनिक कामकाज लगातार रुकता नहीं रहेगा; और एक साथ चुनाव का विरोध राजनीतिक और अनुचित है.
लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट ने "वन नेशन, वन इलेक्शन" की सोच को खारिज करते हुए कहा है कि ये मौजूदा संवैधानिक नियमों के खिलाफ है और इससे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था कमज़ोर होगी. साथ ही, उन्होंने ये भी दावा किया है कि इसे लागू करने के लिए संविधान में अहम संशोधन करने होंगे जिसके लिए सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है.
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कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे अमित शाह का नया जुमला बताया और कहा कि इसे भारत जैसे देश में लागू करना संभव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए ज़रूरी संविधान संशोधन की प्रक्रिया जटिल है और सरकार के लिए इस प्रस्ताव पर संसद में बहुमत जुटाना संभव नहीं होगा.
सीपीएम नेता बृंदा करात ने कहा कि लेफ्ट इस प्रस्ताव को विरोध में है क्योंकि इससे देश में लोकतंत्र कमज़ोर होगा और राज्य विधान सभाओं का कार्यकाल समय से पहले खत्म करना अलोकतांत्रिक होगा.
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लेकिन एक देश एक चुनाव को लेकर जो संवैधानिक चुनौतियां हैं. वे शायद इन फ़ायदों से कहीं ज़्यादा बड़ी हैं.
इसलिए चुनाव आयोग के लिए फ़ैसला आसान नहीं है.
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