सरकार ने शुक्रवार को बताया कि कोविड-19 महामारी और उसके बाद लॉकडाउन के दौरान एक करोड़ से अधिक प्रवासी कामगार अपने राज्यों को वापस गए तथा प्रवासी कामगारों की कठिनाइयों को दूर करने के लिये कई उपाए किये गए हैं . लोकसभा में कनिमोई करूणानिधि के प्रश्न के लिखित उत्तर में श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने यह जानकारी दी .सदन में गृह राज्य वापस आये प्रवासी कामगारों की संख्या के बारे में पेश ब्यौरे के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 32,49,638 प्रवासी कामगार वापस आए . इसी प्रकार से बिहार में 15,00,612 , पश्चिम बंगाल में 13,84,693, और राजस्थान में 13,08,130 प्रवासी कामगार वापस लौटे .
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश में 7,53,581 प्रवासी कामगार, झारखंड में 5,30,047 , पंजाब में 5,15,642 , असम में 4,26,441 प्रवासी कामगार वापस लौटे . गंगवार ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की शिकायतों को हल करने के लिये मंत्रालय ने पूरे देश में 20 नियंत्रण कक्ष स्थापित किये. लॉकडाउन के दौरान इन नियंत्रण कक्षों के माध्यम से श्रमिकों के 15 हजार से अधिक शिकायतों का समाधान किया गया .
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उन्होंने बताया कि मंत्रालयों के हस्तक्षेप के कारण दो लाख से अधिक श्रमिकों को लगभग 295 करोड़ रूपये की राशि की मजदूरी का भुगतान किया गया था . मंत्री ने बताया कि अब तक 1.83 करोड़ निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों को विभिन्न राज्यों द्वारा बनवाये जा रहे भवनों एवं अन्य निर्माण कर्मकार उपकर निधि से सीधे उनके बैंक खातों में 5000 करोड़ रूपये प्रदान किये गए .
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उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत प्रतिदिन की मजदूरी को 182 रूपये से बढ़ाकर 202 रूपये कर दिया गया .गंगवार ने कहा कि अपने गृह राज्य लौट चुके प्रवासी कामगारों के नियोजन को सुविधाजनक बनाने के लिये अभियान के तहत 116 जिलों में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना आरंभ की गई है.
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उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों से प्रवासी कामगारों की आत्महत्या से संबंधित जानकारी एकत्र की जा रही है.
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