सूत्रों के अनुसार गोगोई को जनरल रावत की हाल की जम्मू कश्मीर यात्रा के दौरान पुरस्कृत किया गया.
नई दिल्ली:
कश्मीर में एक व्यक्ति को जीप से बांधने वाले सेना के मेजर को आतंकवाद विरोधी अभियान में निरंतर प्रयास करने के लिए पुरस्कृत किया गया है. मेजर लीतुल गोगोई को ऐसे समय में सेना प्रमुख के 'कमेंडेशन कार्ड' से सम्मानित किया जाना इस बात का संकेत है कि उनके खिलाफ एक कश्मीरी युवक को जीप के बोनट से बांधने के मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में शायद उन्हें दोषी नहीं माना जाएगा. मेजर गोगोई को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की हाल की जम्मू कश्मीर यात्रा के दौरान सम्मानित किया गया. सेना की ओर से बताया गया कि सम्मानित करते वक्त उनके बेहतरीन योगदान और कोर्ट ऑफ इन्कवायरी से मिले संकेत को ध्यान में रखा गया है.
श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए नौ अप्रैल को हुए उपचुनाव में सेना के एक वाहन में एक व्यक्ति को बांधे हुए दिखाये जाने वाले वीडियो के वायरल होने पर सार्वजनिक आलोचना शुरू हो गई जिसके बाद सेना ने एक जांच गठित की थी. सेना की ओर से कहा गया कि अगर उस व्यक्ति को ढाल की तरह नहीं खड़ा किया जाता तो सैकड़ों लोगों की भीड़ पोलिंग अधिकारियों और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों पर हमला कर देती. वैसे जब पोलिंग अधिकारियों का एक समूह मतदान केंद्र से बच निकलने की कोशिश कर रहा था तब उनका सामना पत्थरबाजों से हो गया. इनलोंगों की मदद के लिए सेना की एक टीम को बुलाया गया लेकिन तब तक भीड़ बढ़ चुकी थी.
15 जवानों की सेना की टुकड़ी के आगे भीड़ को संभालना काफी मुश्किल था. सेना के सूत्रों की मानें तो अगर उस वक्त गोलीबारी की जाती तो भीड़ का गुस्सा सेना पर फूट पड़ता. इसलिए खुद को बचाने के लिए कंपनी कमांडर ने एक प्रदर्शनकारी को पकड़ा और उसे जीप से बांध दिया. इसके बाद सेना और पोलिंग अधिकारी सुरक्षित तरीके से उस इलाके से बाहर निकल गए और अपने साथ लाए गए प्रदर्शनकारी को पुलिस के हवाले कर दिया गया.
हलांकि इस घटना को लेकर जम्मू कश्मीर पुलिस ने एफआईआऱ भी दर्ज की थी. लेकिन ना तो अभी तक कोर्ट ऑफ इन्कवायरी की रिपोर्ट आई है और ना ही एफआईआऱ के बाद क्या कार्रवाई हुई है इसका कुछ पता चल पाया है. सेना की जीप में बंधे दिख रहे व्यक्ति की पहचान फारूक डार के रूप में हुई थी जबकि इसमें शामिल सैन्य इकाई की पहचान 53 राष्ट्रीय राइफल्स के रूप में हुई थी.
श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए नौ अप्रैल को हुए उपचुनाव में सेना के एक वाहन में एक व्यक्ति को बांधे हुए दिखाये जाने वाले वीडियो के वायरल होने पर सार्वजनिक आलोचना शुरू हो गई जिसके बाद सेना ने एक जांच गठित की थी. सेना की ओर से कहा गया कि अगर उस व्यक्ति को ढाल की तरह नहीं खड़ा किया जाता तो सैकड़ों लोगों की भीड़ पोलिंग अधिकारियों और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों पर हमला कर देती. वैसे जब पोलिंग अधिकारियों का एक समूह मतदान केंद्र से बच निकलने की कोशिश कर रहा था तब उनका सामना पत्थरबाजों से हो गया. इनलोंगों की मदद के लिए सेना की एक टीम को बुलाया गया लेकिन तब तक भीड़ बढ़ चुकी थी.
15 जवानों की सेना की टुकड़ी के आगे भीड़ को संभालना काफी मुश्किल था. सेना के सूत्रों की मानें तो अगर उस वक्त गोलीबारी की जाती तो भीड़ का गुस्सा सेना पर फूट पड़ता. इसलिए खुद को बचाने के लिए कंपनी कमांडर ने एक प्रदर्शनकारी को पकड़ा और उसे जीप से बांध दिया. इसके बाद सेना और पोलिंग अधिकारी सुरक्षित तरीके से उस इलाके से बाहर निकल गए और अपने साथ लाए गए प्रदर्शनकारी को पुलिस के हवाले कर दिया गया.
हलांकि इस घटना को लेकर जम्मू कश्मीर पुलिस ने एफआईआऱ भी दर्ज की थी. लेकिन ना तो अभी तक कोर्ट ऑफ इन्कवायरी की रिपोर्ट आई है और ना ही एफआईआऱ के बाद क्या कार्रवाई हुई है इसका कुछ पता चल पाया है. सेना की जीप में बंधे दिख रहे व्यक्ति की पहचान फारूक डार के रूप में हुई थी जबकि इसमें शामिल सैन्य इकाई की पहचान 53 राष्ट्रीय राइफल्स के रूप में हुई थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं