प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
पिछले साल जून में उड़ीसा से छत्तीसगढ़ लाए गए दो युवकों के संबंध में उड़ीसा पुलिस ने हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए कहा है कि पूरे मामले की एनआईए अथवा सीबीआई से जांच कराई जा सकती है. छत्तीसगढ़ पुलिस ने दोनों युवकों को नक्सली बताते हुए गिरफ्तार किया था. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. अधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा ने बताया कि 28 जून 2016 को बस्तर के नगरनार पुलिस ने उड़ीसा के कोटपाड़ थाना क्षेत्र से निरंजन दास और दुर्ज्योती महाकोड़ो को नक्सली बताते हुए गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस के लोग सादे कपड़ों में लेकिन हथियारबंद थे. छत्तीसगढ़ पुलिस ने उड़ीसा पुलिस और स्थानीय थाने को इस सम्बन्ध में सूचना नहीं दी थी. वर्मा ने बताया कि दोनों युवकों के परिजनों ने उनकी तलाश शुरू की, तब उन्हें जानकारी मिली कि छत्तीसगढ़ पुलिस दोनों को उठा ले गई है. इसके बाद युवकों के परिजनों ने कोटपाड़ की जिला अदालत में इस मामले को पेश किया था. जिला अदालत ने पुलिस को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था.
उड़ीसा पुलिस ने जांच में पाया कि छत्तीसगढ़ की पुलिस दोनों युवकों को बिना बताए ले गई. इसके बाद कोटपाड़ थाने में अपहरण का मामला दर्ज कर लिया गया. बाद में युवकों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाईकोर्ट ले जाने का निर्दश दिया. न्यायालय ने उड़ीसा पुलिस से जवाब तलब किया था. अधिवक्ता वर्मा ने बताया कि इसी दौरान छत्तीसगढ़ पुलिस के कुछ बड़े अधिकारियों ने कुछ पुलिसकर्मियों को युवकों के परिजनों के पास भेजा था और न्यायालय से मामला वापस लेने के लिए न केवल रिश्वत की पेशकश की थी बल्कि दोनों युवकों को छुड़ाने का आश्वासन भी दिया था. उड़ीसा पुलिस ने इसकी भी जांच की और मामले को सही पाया.
सतीश चन्द्र वर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट में गुरुवार को जस्टिस राजेन्द्र चन्द्र सिंह सामंत की एकल पीठ में सुनवाई के दौरान उड़ीसा पुलिस ने अपने जवाब में कहा कि कोर्ट मामले की जांच एनआईए या सीबीआई से जांच करा सकती है, कि कैसे छत्तीसगढ़ पुलिस दोनों को उठा ले गई. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उड़ीसा पुलिस ने जांच में पाया कि छत्तीसगढ़ की पुलिस दोनों युवकों को बिना बताए ले गई. इसके बाद कोटपाड़ थाने में अपहरण का मामला दर्ज कर लिया गया. बाद में युवकों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाईकोर्ट ले जाने का निर्दश दिया. न्यायालय ने उड़ीसा पुलिस से जवाब तलब किया था. अधिवक्ता वर्मा ने बताया कि इसी दौरान छत्तीसगढ़ पुलिस के कुछ बड़े अधिकारियों ने कुछ पुलिसकर्मियों को युवकों के परिजनों के पास भेजा था और न्यायालय से मामला वापस लेने के लिए न केवल रिश्वत की पेशकश की थी बल्कि दोनों युवकों को छुड़ाने का आश्वासन भी दिया था. उड़ीसा पुलिस ने इसकी भी जांच की और मामले को सही पाया.
सतीश चन्द्र वर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट में गुरुवार को जस्टिस राजेन्द्र चन्द्र सिंह सामंत की एकल पीठ में सुनवाई के दौरान उड़ीसा पुलिस ने अपने जवाब में कहा कि कोर्ट मामले की जांच एनआईए या सीबीआई से जांच करा सकती है, कि कैसे छत्तीसगढ़ पुलिस दोनों को उठा ले गई. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.
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