जाकिर नाइक का फाइल फोटो
अलीगढ़:
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने कहा है कि विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक की विचारधारा से संस्थान का कोई संबंध नहीं है। एएमयू के प्रवक्ता अबरार ने कहा कि नाइक जिस सलाफी विचारधारा की पैरवी करते हैं, उसका एएमयू से कभी रत्ती भर भी लेना-देना नहीं रहा।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा ऐसे कट्टरपंथी विचारों का एएमयू में स्वागत होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। नाइक का चयन सिर्फ एक धार्मिक विद्वान के तौर पर किया गया था।
एएमयू के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर असमार बेग ने कहा कि जाकिर नाइक को लेकर एएमयू को विवाद में घसीटने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ''एएमयू कोर्ट में सदस्य के तौर पर नाइक का तीन साल का कार्यकाल उनके भाषणों में किसी भी तरह की गड़बड़ी बताये जाने से पहले ही खत्म हो गया था। नाइक ने एएमयू के कामकाज में कभी कोई भूमिका नहीं निभायी थी।'' मालूम हो कि हाल में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक रेस्तरां पर हुए हमले के बाद सुर्खियों में आये नाइक को वर्ष 2013 में एएमयू कोर्ट में मनोनीत किया गया था।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा कि इसके अलावा ऐसे कट्टरपंथी विचारों का एएमयू में स्वागत होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। नाइक का चयन सिर्फ एक धार्मिक विद्वान के तौर पर किया गया था।
एएमयू के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर असमार बेग ने कहा कि जाकिर नाइक को लेकर एएमयू को विवाद में घसीटने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ''एएमयू कोर्ट में सदस्य के तौर पर नाइक का तीन साल का कार्यकाल उनके भाषणों में किसी भी तरह की गड़बड़ी बताये जाने से पहले ही खत्म हो गया था। नाइक ने एएमयू के कामकाज में कभी कोई भूमिका नहीं निभायी थी।'' मालूम हो कि हाल में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक रेस्तरां पर हुए हमले के बाद सुर्खियों में आये नाइक को वर्ष 2013 में एएमयू कोर्ट में मनोनीत किया गया था।
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