कोलकाता:
नॉर्वे में अपने मां-बाप से अलग कर रखे गए दोनों भारतीय बच्चों की देखरेख के मामले में पश्चिम बंगाल की चाइल्ड वेलफेयर ने दखल दिया है। कमेटी का आदेश है कि ये बच्चे उनकी मां को जल्द से जल्द सौंप दिए जाएं। बर्धवान जिले की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के मुताबिक, इन बच्चों के चाचा अपने दायित्वों का पालन करने में विफल रहे हैं, लेकिन जब दोनों बच्चों के माता-पिता सागरिका और अनुरूप भट्टाचार्य कस्टडी लेने पहुंचे तो उनके चाचा ने बच्चों को सौंपने से इनकार कर दिया। वहीं जब यह मामला पुलिस में पहुंचा तो अधिकारियों ने भी कागज पूरे न होने का हवाला देकर कोई मदद नहीं की।
पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में किसके आदेश को माना जाए। नॉर्वे की अदालत के या फिर बर्धमान चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के आदेश को। मई 2011 में नॉर्वे में तीन साल के अभिज्ञान और एक साल की ऐश्वर्या को उस वक्त उनके भारतीय मां-बाप से दूर कर दिया था, जब उन पर बच्चों की ठीक से देखभाल न करने का आरोप लगा था। काफी विवाद और कोर्ट कचहरी की कार्रवाई के बाद अप्रैल 2012 में नॉर्वे की एक कोर्ट ने इन बच्चों को भारत वापस भेजे जाने की अनुमति दी थी। इनका जिम्मा उनके चाचा को सौंपा गया था।
पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में किसके आदेश को माना जाए। नॉर्वे की अदालत के या फिर बर्धमान चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के आदेश को। मई 2011 में नॉर्वे में तीन साल के अभिज्ञान और एक साल की ऐश्वर्या को उस वक्त उनके भारतीय मां-बाप से दूर कर दिया था, जब उन पर बच्चों की ठीक से देखभाल न करने का आरोप लगा था। काफी विवाद और कोर्ट कचहरी की कार्रवाई के बाद अप्रैल 2012 में नॉर्वे की एक कोर्ट ने इन बच्चों को भारत वापस भेजे जाने की अनुमति दी थी। इनका जिम्मा उनके चाचा को सौंपा गया था।
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