नई दिल्ली:
केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि जम्मू क्षेत्र में हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार राज्य से किसी को भी मजबूर होकर प्रवास करने जैसी 1990 की स्थिति नहीं बनने देगी।
चिदम्बरम का बयान कश्मीर में 1990 में आतंकवाद के कारण घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के संदर्भ में था। उन्होंने राज्यसभा को बताया कि हिंसा प्रभावित जम्मू क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में आ गई है और तीन लोगों की मौत हुई है।
चिदंबरम ने कहा,"अब तक हिंसा में दो मुस्लिमों और एक हिंदू की मौत हुई है। हम सभी भारतीय हैं। तीन भारतीयों ने जीवन गंवाया है और यह गंभीर दुख का विषय है।"
चिदंबरम ने कहा, "हम 1990 को नहीं दोहराने देंगे। हम मजबूरी में प्रवास की स्थिति नहीं पैदा होने देंगे। इलाके के हर व्यक्ति का जीवन सुरक्षित है।"
इसके पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने आतंकवाद की शुरुआत की ओर इशारा करते हुए कहा, "यदि स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो 1990 के दशक जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी।"
जेटली ने सोमवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के किश्तवाड़ कस्बे में हिंसा सिर्फ सांप्रदायिक दंगा ही नहीं है, बल्कि भारत की संप्रभुता पर खतरा भी है।
जेटली ने राज्यसभा में कहा, "यह समुदायों के बीच का आपसी झगड़ा नहीं है। सामुदायिक झगड़े में पड़ोसी मुल्क का झंडा नहीं लहराया जाता। यह भारत की संप्रभुता के लिए खतरा है।"
जेटली को रविवार को जम्मू हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया और उन्हें किश्तवाड़ जाने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने रोके जाने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, "भारत कोई बनाना रिपब्लिक (अविकसित देश) नहीं है जहां किसी राज्य में धारा 144 लगा कर किसी को घुसने से रोक दिया जाए। जम्मू एवं कश्मीर किसी की बपौती नहीं है। यह राज्य में लोकतंत्र की हत्या है।" उन्होंने केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि किस तरह से किसी व्यक्ति को किसी राज्य में जाना निषिद्ध किया जा सकता है। उन्होंने स्थिति पर नियंत्रण पाने में विफल रहने पर राज्य सरकार की आलोचना की।
जेटली ने कहा, "जो भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदर्शनकारियों ने चुन कर निशाना बनाया, यह सरकार के ध्यान में लाया जाना चाहिए। मिनटों में दिल्ली सूचना पहुंचने लगी। लोग असहाय थे और पुलिस मूकदर्शक। इसमें एक वरिष्ठ अधिकारी के संलिप्त होने का संदेह है। इसकी जांच होनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि उनके दौरे से केवल तनाव कम हो सकता था।
चिदम्बरम का बयान कश्मीर में 1990 में आतंकवाद के कारण घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के संदर्भ में था। उन्होंने राज्यसभा को बताया कि हिंसा प्रभावित जम्मू क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में आ गई है और तीन लोगों की मौत हुई है।
चिदंबरम ने कहा,"अब तक हिंसा में दो मुस्लिमों और एक हिंदू की मौत हुई है। हम सभी भारतीय हैं। तीन भारतीयों ने जीवन गंवाया है और यह गंभीर दुख का विषय है।"
चिदंबरम ने कहा, "हम 1990 को नहीं दोहराने देंगे। हम मजबूरी में प्रवास की स्थिति नहीं पैदा होने देंगे। इलाके के हर व्यक्ति का जीवन सुरक्षित है।"
इसके पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने आतंकवाद की शुरुआत की ओर इशारा करते हुए कहा, "यदि स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो 1990 के दशक जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी।"
जेटली ने सोमवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के किश्तवाड़ कस्बे में हिंसा सिर्फ सांप्रदायिक दंगा ही नहीं है, बल्कि भारत की संप्रभुता पर खतरा भी है।
जेटली ने राज्यसभा में कहा, "यह समुदायों के बीच का आपसी झगड़ा नहीं है। सामुदायिक झगड़े में पड़ोसी मुल्क का झंडा नहीं लहराया जाता। यह भारत की संप्रभुता के लिए खतरा है।"
जेटली को रविवार को जम्मू हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया और उन्हें किश्तवाड़ जाने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने रोके जाने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, "भारत कोई बनाना रिपब्लिक (अविकसित देश) नहीं है जहां किसी राज्य में धारा 144 लगा कर किसी को घुसने से रोक दिया जाए। जम्मू एवं कश्मीर किसी की बपौती नहीं है। यह राज्य में लोकतंत्र की हत्या है।" उन्होंने केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि किस तरह से किसी व्यक्ति को किसी राज्य में जाना निषिद्ध किया जा सकता है। उन्होंने स्थिति पर नियंत्रण पाने में विफल रहने पर राज्य सरकार की आलोचना की।
जेटली ने कहा, "जो भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदर्शनकारियों ने चुन कर निशाना बनाया, यह सरकार के ध्यान में लाया जाना चाहिए। मिनटों में दिल्ली सूचना पहुंचने लगी। लोग असहाय थे और पुलिस मूकदर्शक। इसमें एक वरिष्ठ अधिकारी के संलिप्त होने का संदेह है। इसकी जांच होनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि उनके दौरे से केवल तनाव कम हो सकता था।
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