प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
कॉल ड्राप मामले में मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार किया है। इस बारे में केंद्र सरकार को नोटिस दिया गया है। मामले की 10 मार्च को अगली सुनवाई होगी।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं कंपनियां
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मोबाइल कंपनियां सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। हाईकोर्ट ने 29 फरवरी को आदेश दिया था कि कॉल ड्राप पर मोबाइल कंपनियों को मुआवजा देना होगा। हाईकोर्ट ने कंपनियों की याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि 1 जनवरी, 2016 से मुआवजा देना होगा।
टावर कम होने से काल ड्राप की समस्या
ट्राई ने 16 अक्टूबर 2015 को आदेश जारी किया था कि मोबाइल सर्विस कंपनियां, अगर कॉल ड्राप होता है तो 1 रुपया उपभोक्ता को बतौर मुआवजा देंगी जो एक दिन में 3 रुपये हो सकता है। इसके खिलाफ मोबाइल कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। कंपनियों की दलील थी कि ट्राई का यह आदेश मनमाना और गैरकानूनी है, इसे रद्द किया जाए। कई कारणों से यह संभव नहीं है कि कॉल ड्राप की स्थिति को रोका जा सके। इससे मोबाइल कंपनियों को बड़ा नुकसान होगा। ट्राई को कोई कानून बनाने का आधार नहीं है। ट्राई का कहना है कि मोबाइल कंपनियों ने उपभोक्ताओं की संख्या के हिसाब से टावर नहीं लगाए हैं इसकी वजह से कॉल ड्राप की दिक्कतें आ रही हैं।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं कंपनियां
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मोबाइल कंपनियां सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। हाईकोर्ट ने 29 फरवरी को आदेश दिया था कि कॉल ड्राप पर मोबाइल कंपनियों को मुआवजा देना होगा। हाईकोर्ट ने कंपनियों की याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि 1 जनवरी, 2016 से मुआवजा देना होगा।
टावर कम होने से काल ड्राप की समस्या
ट्राई ने 16 अक्टूबर 2015 को आदेश जारी किया था कि मोबाइल सर्विस कंपनियां, अगर कॉल ड्राप होता है तो 1 रुपया उपभोक्ता को बतौर मुआवजा देंगी जो एक दिन में 3 रुपये हो सकता है। इसके खिलाफ मोबाइल कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। कंपनियों की दलील थी कि ट्राई का यह आदेश मनमाना और गैरकानूनी है, इसे रद्द किया जाए। कई कारणों से यह संभव नहीं है कि कॉल ड्राप की स्थिति को रोका जा सके। इससे मोबाइल कंपनियों को बड़ा नुकसान होगा। ट्राई को कोई कानून बनाने का आधार नहीं है। ट्राई का कहना है कि मोबाइल कंपनियों ने उपभोक्ताओं की संख्या के हिसाब से टावर नहीं लगाए हैं इसकी वजह से कॉल ड्राप की दिक्कतें आ रही हैं।
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