
- असम सरकार ने गोलाघाट जिले के नेघेरबिल इलाके में 146 परिवारों को सरकारी जमीन से बेदखल किया है
- बेदखली अभियान हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार चलाया गया और प्रशासन ने नोटिस के बाद कार्रवाई की शुरुआत की
- पिछले दो हफ्तों में गोलाघाट में 4,000 बीघा से अधिक वन भूमि अतिक्रमण मुक्त कराई गई है
Assam Eviction Drive: असम सरकार लगातार अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रही है, खासतौर पर इसमें बांग्लादेश से आए लोगों की पहचान कर उन्हें सरकारी जमीन से बेदखल किया जा रहा है. अब असम सरकार ने गोलाघाट जिले के नेघेरबिल इलाके में 146 परिवारों को बेदखल किया है. वन विभाग और प्रशासन की तरफ से अवैध बस्तियों को हटाने का ये अभियान चलाया गया. अधिकारियों ने बताया कि वो हाईकोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं.
नोटिस के बाद अब एक्शन
शुक्रवार 8 अगस्त को दयांग आरक्षित वन क्षेत्र के नेघेरबिल गांव नंबर 2 में बेदखली की ये कार्रवाई शुरू हुई. बताया गया है कि ज्यादातर परिवार बांग्लादेशी मुस्लिमों के थे. अधिकारियों ने बताया कि पड़ोसी राज्य नागालैंड के प्रशासन और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों ने इस अभियान को चलाने में पूरी मदद की, बिना किसी हिंसा या फिर बवाल के ये अतिक्रमण अभियान पूरा किया गया. बताया गया कि कार्रवाई से पहले 24 जुलाई को गोलाघाट प्रशासन और वन विभाग ने सभी 205 परिवारों को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर जगह खाली करने के लिए कहा था.
लगातार चल रहा है अभियान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों में अकेले गोलाघाट में चलाए गए बेदखली अभियानों में 4,000 बीघा से ज्यादा वन भूमि खाली कराई गई है. 30 जुलाई को, उरियामघाट के रेंगमा रिजर्व फॉरेस्ट में लगभग 3,000 बीघा जमीन वापस ली गई. यहां 278 घरों को एक झटके में ध्वस्त कर दिया गया. इसके कुछ दिनों बाद नामबोर दक्षिण रिजर्व फॉरेस्ट से 1,000 बीघा अतिरिक्त जमीन वापस ली गई, इसमें 350 से अधिक परिवारों को बेदखल किया गया.
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भारी सुरक्षाबलों की तैनाती
इस अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान प्रशासन के साथ भारी सुरक्षाबलों की तैनाती भी है. इसमें असम पुलिस, सीआरपीएफ और फॉरेस्ट गार्ड के 2,000 से अधिक जवानों की मदद ली जा रही है. असम के कई इलाकों में ये अभियान तेजी से चलाया जा रहा है, विरोध करने पर सुरक्षाबलों का सहारा लेकर घर या फिर दुकानें खाली कराई जा रही हैं.
कई परिवारों ने दी चुनौती
असम के कई परिवारों ने बेदखली की इस कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट में गुहार भी लगाई है. जिसमें करीब 57 परिवारों को कोर्ट की तरफ से 10 दिन का समय दिया गया है. 15 अगस्त के बाद इन परिवारों की भी बेदखली हो सकती है. बता दें कि यह बेदखली असम सरकार के वन भूमि को वापस लेने और असम के स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए चलाए जा रहे राज्यव्यापी अभियान का हिस्सा है.
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