यह ख़बर 04 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

बलात्कार के लिए मौत की सजा पर आम सहमति नहीं

खास बातें

  • बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा पर आम सहमति पर पहुंच पाने में केंद्र और राज्य सरकारें नाकाम रहीं जबकि किशोर की परिभाषा को 18 की उम्र से कमकर 16 वर्ष करने पर उनमें सहमति दिखी।
नई दिल्ली:

बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा पर आम सहमति पर पहुंच पाने में केंद्र और राज्य सरकारें नाकाम रहीं जबकि किशोर की परिभाषा को 18 की उम्र से कमकर 16 वर्ष करने पर उनमें सहमति दिखी।

दिल्ली सामूहिक बलात्कार की घटना के आलोक में केंद्र द्वारा आयोजित मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के दिनभर चले सम्मेलन में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा की गई और महिलाओं की सुरक्षा, अपराधियों के खिलाफ त्वरित सुनवाई शुरू करने और उन्हें सजा दिलाने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए।

बैठक में शामिल होने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बलात्कार के मामलों में मौत की सजा देने को शामिल करने के लिए कानून में संशोधन करने को लेकर आम सहमति नहीं है। एक या दो मुख्य सचिवों ने सुझाव दिया लेकिन ज्यादातर ने इस मुद्दे पर खामोशी बरती।’

गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि बलात्कार के लिए मौत की सजा सहित मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों द्वारा दिए गए सारे सुझावों पर केंद्र विचार करेगा।

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प्रदेश सरकारों के प्रतिनिधियों और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि बलात्कार के दोषियों को बिना किसी दया या पेरोल के मौत तक आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए।