दिल्ली की एक अदालत ने यातायात के दो पुलिसकर्मियों को मुकदमे का सामना करने का निर्देश देते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति की पिटाई करना और उसे चोटिल करना किसी यातायात पुलिसकर्मी की सरकारी जिम्मेदारी के दायरे में नहीं आता।
अदालत ने कहा कि इस कथित गतिविधि के लिए उन पर मुकदमे के लिए पूर्व मंजूरी जरूरी नहीं है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश आलोक अग्रवाल ने कहा, 'अगर गतिविधि आधिकारिक जिम्मेदारी के दायरे से बाहर है तो किसी मंजूरी की जरूरत नही है। मौजूदा मामले में कथित कृत्य शिकायती की पिटाई करना और उसे चोटिल करना है। यह जाहिर तौर पर यातायात पुलिस अधिकारियों के आधिकारिक कामकाज के दायरे में नहीं आता।'
दिल्ली यातायात पुलिस के जवान गुमान सिंह और राजेश कुमार को दिल्ली निवासी सतीश कुमार को गंभीर चोट पहुंचाने के मामले में निचली अदालत में पेश होने का निर्देश देते हुए न्यायाधीश ने मजिस्ट्रेटी अदालत को पुलिसकर्मियों को आईपीसी की धारा 323-34 के तहत अपराध के लिए नये सिरे से नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
अदालत ने पुलिसकर्मियों को मामले में आरोपी के तौर पर बुलाने के मजिस्ट्रेटी अदालत के आदेश के खिलाफ उनकी पुनरीक्षण याचिका भी खारिज कर दी है।
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