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जस्टिस सूर्यकांत की मुहिम लाई रंग- दिल्ली HC ने निचली अदालतों को सशस्त्र बल कर्मियों के केसों का जल्द निपटारा करने के निर्देश दिए

इस पहल की परिकल्पना और नेतृत्व करने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने शुभारंभ के बाद NDTV से बात की और कहा कि NALSA रक्षा विभाग के साथ समन्वय कर रहा है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेना के सैनिकों को कानूनी सहायता मिले और वे अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकें.

जस्टिस सूर्यकांत की मुहिम लाई रंग- दिल्ली HC ने निचली अदालतों को सशस्त्र बल कर्मियों के केसों का जल्द निपटारा करने के निर्देश दिए
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा उनकी इच्छा है कि देश के बाकी हाईकोर्ट भी इसी तरह का कदम उठाएं .
नई दिल्ली:

नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष और भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में शामिल जस्टिस सूर्यकांत की पहल के बाद सबसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी की सभी निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि वे सेना, वायुसेना, नौसेना और अर्द्धसैनिक बलों से जुड़े मामलों की सुनवाई को प्राथमिकता दें.  मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल अरुण भारद्वाज द्वारा 7 अगस्त को जारी सर्कुलर में कहा गया था कि सेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957 और वायुसेना अधिनियम 1950 के तहत विशेष प्रावधान किए गए हैं. जिनके तहत सशस्त्र बलों के कर्मियों से जुड़े मुकदमों की प्राथमिकता से सुनवाई होनी चाहिए.

सर्कुलर सभी प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को भेजा गया

इसके अलावा, भारतीय सैनिक (विवाद) अधिनियम 1925 (2018 में संशोधित) भी सैनिकों को विशेष संरक्षण प्रदान करता है. मुख्य न्यायाधीश ने सभी जिला एवं सत्र न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे सशस्त्र बलों से जुड़े दीवानी, राजस्व और आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई और निपटारा सुनिश्चित करे. यह निर्देश अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों से जुड़े मामलों पर भी लागू होगा. यह सर्कुलर दिल्ली के सभी प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को भेजा गया है. जिनमें तीस हजारी, रोहिणी, साकेत, द्वारका, कड़कड़डूमा और पटियाला हाउस कोर्ट शामिल हैं.

देश के बाकी हाईकोर्ट भी इसी तरह का कदम उठाएं

जस्टिस सूर्यकांत ने NDTV से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी पहल की है जिसका वो स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि देश के बाकी हाईकोर्ट भी इसी तरह का कदम उठाएं और देश की रक्षा में जुटे सैनिकों की कानूनी समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करें.

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष और भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई में 26 जुलाई को श्रीनगर में NALSA वीर परिवार सहायता योजना 2025 का शुभारंभ किया गया था. ताकि सैनिकों को घरेलू कानूनी बोझ से राहत मिल सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें सर्वोत्तम संभव कानूनी प्रतिनिधित्व मिले, भले ही उन्हें छुट्टी न मिले और वे अदालती कार्यवाही में उपस्थित न हो सकें. 

"सैनिकों के परिवारों के लिए हर संभव प्रयास कर सकें" 

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि सैनिक देश की रक्षा के लिए दुर्गम इलाकों से लेकर दुश्मन की गोलीबारी तक, हर परिस्थिति का सामना करते हैं और न्यायपालिका यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वह उनके और उनके परिवारों के लिए हर संभव प्रयास कर सके. 

इस पहल की परिकल्पना और नेतृत्व करने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने शुभारंभ के बाद NDTV से बात की और कहा कि NALSA रक्षा विभाग के साथ समन्वय कर रहा है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेना के सैनिकों को कानूनी सहायता मिले और वे अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकें, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.  जस्टिस कांत ने कहा, " हमने वीर परिवार सहायता योजना 2025 की शुरुआत की है.

सेना और अर्धसैनिक बलों के जवान दूर-दराज के इलाकों और सीमाओं पर तैनात रहते हैं. अक्सर वे अपने परिवार से फ़ोन पर बात भी नहीं कर पाते और उन्हें छुट्टी भी नहीं मिल पाती. ऐसे में, अगर उनके या उनके परिवार के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज हो, तो उन्हें किसी भी चीज से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए, नालसा में, हमने एक ऐसी योजना बनाने का फ़ैसला किया है जिसके तहत उन्हें क़ानूनी सहायता, कानूनी सहायता और क़ानूनी सलाह मिले. 

उन्होंने आगे कहा, "यह सुविधा प्रदान करने के लिए, हमने रक्षा विभाग के संबंधित विभागों से बात की है. हम ज़िला और राज्य सैनिक बोर्डों में क़ानूनी सहायता क्लीनिक स्थापित करेंगे. "  सुप्रीम कोर्ट के जज ने बताया कि क़ानूनी डिग्री हासिल कर चुके और वकील बन चुके पूर्व सैनिकों को क़ानूनी सहायता परामर्शदाता के रूप में नियुक्त किया जाएगा और सैनिकों के परिवार के सदस्य पैरालीगल स्वयंसेवक के रूप में भी काम कर सकते हैं .

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