नई दिल्ली:
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग NJAC को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने करारा हमला किया है। जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि जिस तरह से नेताओं के खिलाफ फैसले में लिखा गया है वो टीवी की नौ बजे की बहस का हिस्सा जैसा लग रहा है। उन्होंने कहा, भारतीय लोकतंत्र में 'ऐसे लोगों की निरंकुशता नहीं चल सकती जो चुने नहीं गए हों।'
एनजेएसी कानून, 2014 और 99वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार देकर निरस्त करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ की ओर से बताए गए तर्कों को 'त्रुटिपूर्ण तर्क' करार देते हुए जेटली ने चेतावनी दी कि यदि 'कमजोर किया गया' तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
जेटली के मुताबिक फैसले में देश के पूर्ण संवैधानिक ढांचे पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, सिर्फ न्यायपालिका ही संविधान का मूल आधार नहीं है। संसदीय लोकतंत्र संविधान का सबसे अहम मौलिक ढांचा है। प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष, कानून मंत्री, सभी संविधान के मूल आधार का हिस्सा हैं, वे लोगों की इच्छा की नुमाइंदगी करते हैं।
जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा, फैसले में सिर्फ न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर ध्यान दिया गया है। बाकी सारे मौलिक ढांचे को बकवास बताते हुए जनता के प्रतिनिधियों से ही जनतंत्र को बचाने जैसी बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने संसदीय लोकतंत्र, चुनी हुई सरकार, मंत्री समूह, चुने हुए प्रधानमंत्री, चुने हुए नेता विपक्ष सबकी महत्ता घटा दी है। जेटली ने अपने लेख में कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम हो सकता है, लेकिन हमेशा सही नहीं।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, मेरा मानना है कि विधायिका और न्यायपालिका को साथ रहना होगा। न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान का मूल आधार है। उसे मजबूत बनाने के लिए संसदीय संप्रभुता को कमज़ोर नहीं बना सकते। क्योंकि वो ना सिर्फ संविधान के मूल आधारों में से एक है बल्कि हमारे लोकतंत्र की आत्मा है।
साथ में भाषा इनपुट
एनजेएसी कानून, 2014 और 99वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार देकर निरस्त करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ की ओर से बताए गए तर्कों को 'त्रुटिपूर्ण तर्क' करार देते हुए जेटली ने चेतावनी दी कि यदि 'कमजोर किया गया' तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
जेटली के मुताबिक फैसले में देश के पूर्ण संवैधानिक ढांचे पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, सिर्फ न्यायपालिका ही संविधान का मूल आधार नहीं है। संसदीय लोकतंत्र संविधान का सबसे अहम मौलिक ढांचा है। प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष, कानून मंत्री, सभी संविधान के मूल आधार का हिस्सा हैं, वे लोगों की इच्छा की नुमाइंदगी करते हैं।
जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा, फैसले में सिर्फ न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर ध्यान दिया गया है। बाकी सारे मौलिक ढांचे को बकवास बताते हुए जनता के प्रतिनिधियों से ही जनतंत्र को बचाने जैसी बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने संसदीय लोकतंत्र, चुनी हुई सरकार, मंत्री समूह, चुने हुए प्रधानमंत्री, चुने हुए नेता विपक्ष सबकी महत्ता घटा दी है। जेटली ने अपने लेख में कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम हो सकता है, लेकिन हमेशा सही नहीं।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, मेरा मानना है कि विधायिका और न्यायपालिका को साथ रहना होगा। न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान का मूल आधार है। उसे मजबूत बनाने के लिए संसदीय संप्रभुता को कमज़ोर नहीं बना सकते। क्योंकि वो ना सिर्फ संविधान के मूल आधारों में से एक है बल्कि हमारे लोकतंत्र की आत्मा है।
साथ में भाषा इनपुट
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