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This Article is From Dec 18, 2019

कोर्ट से बाहर आते ही रो पड़ीं निर्भया की मां, कहा - हमारे अधिकारों का क्या होगा? 

निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के लिए फिलहाल डेथ वारंट जारी करने से मना कर दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस मामले में राष्ट्रपति के पास दायर होने वाली दया याचिका के खारिज होने के बाद ही इसपर फैसला करेंगे.

कोर्ट से बाहर आते ही रो पड़ीं निर्भया की मां, कहा - हमारे अधिकारों का क्या होगा? 
निर्भया की मां ने कोर्ट से पूछा सवाल
नई दिल्ली:

कोर्ट द्वारा निर्भया रेप मामले के चार आरोपियों में से एक की फांसी की सजा कायम रखने पर पुनर्विचार करने की खबर मिलते ही निर्भया की मां आशा देवी रो पड़ीं. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट सिर्फ आरोपी के अधिकारों का ही ख्याल रखेगा तो हमारे अधिकारों का क्या होगा? बता दें कि निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के लिए फिलहाल डेथ वारंट जारी करने से मना कर दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस मामले में राष्ट्रपति के पास दायर होने वाली दया याचिका के खारिज होने के बाद ही इसपर फैसला करेंगे.

उधर, निर्भया की मां ने दिल्ली के सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले के चार में से एक दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत भी किया है. इस मामले में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले के खिलाफ एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. निर्भया की मां ने कहा मैं इससे बहुत खुश हूं. आरोपियों के लिए फांसी का फरमान जारी करने के संबंध में पटियाला हाउस अदालत में एक सुनवाई होनी है और हमें उम्मीद है कि वह फैसला हमारे पक्ष में जाएगा.

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निर्भया के पिता ने कहा कि पटियाला हाउस अदालत से ‘डेथ वारंट' जारी होने तक वह संतुष्ट नहीं होंगे. हमारी बहुत दुखदायी यात्रा रही है. उच्चतम न्यायालय ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी लेकिन पटियाला हाउस अदालत द्वारा डेथ वारंट जारी किए जाने तक हम खुश नहीं होंगे. समूचा देश आरोपियों के लिए फांसी चाहता है. गौरतलब है कि दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने एक चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया का सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था.

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इस घटना की निर्ममता के बारे में जिसने भी पढ़ा-सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए. इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था. इस मामले के चार दोषी विनय शर्मा, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को मृत्युदंड सुनाया गया. एक अन्य दोषी राम सिंह ने 2015 में तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी और नाबालिग दोषी को सुधार गृह में तीन साल की सजा काटने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था. 

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