निर्भया गैंगरेप मामले में तीन दोषियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने विनय, पवन और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा, अक्षय ने दाखिल नहीं की याचिका

निर्भया गैंगरेप मामले में तीन दोषियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है.

खास बातें

  • बचाव पक्ष ने कहा, एक मुख्य गवाह और पारिस्थिजन्य सबूतों पर मौत की सजा नहीं
  • सजा-ए-मौत सिर्फ अपराधी को खत्म करती है, अपराध को नहीं
  • कोर्ट ने कहा कि इन दलीलों को पहले ही कोर्ट ठुकरा चुका है
नई दिल्ली:

दिल्ली के चर्चित निर्भया गैंगरेप में मौत की सजायाफ्ता दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने तीन दोषियों विनय, पवन और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा. दोषी अक्षय ने पुनर्विचार याचिका अभी दायर नही की है.

विनय और पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा इनकी पृष्ठभूमि और सामाजिक आर्थिक हालात को देखकर सजा कम की जाए. 115 देशों ने मौत की सजा को खत्म कर दिया है. सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं.
सजा-ए-मौत सिर्फ अपराधी को खत्म करती है, अपराध को नहीं. मौत की सजा जीने के अधिकार को छीन लेती है. यह मामला दुर्लभतम से दुर्लभ अपराध की श्रेणी में नहीं आता. एक ही मुख्य गवाह और पारिस्थिजन्य सबूतों के आधार पर मौत की सजा नहीं दी जा सकती.

दिल्ली पुलिस ने इन दलीलों का विरोध किया. कोर्ट ने कहा कि इन दलीलों को पहले ही कोर्ट ठुकरा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा इनको सुधार के मौका देने वाले पहलू पर जवाब दें. वहीं अक्षय की तरफ से कहा गया कि वह तीन हफ्ते में अपनी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे.

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पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निर्भया मामले की सुनवाई के दौरान हमने हिमालय की तरह धैर्य रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि पीड़ित के शरीर पर मुकेश के दांतों के निशान को अनदेखा कैसे कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकेश को दोषी करार डीएनए की जांच, पीड़ित के आखिरी समय के बयान और रिकवरी के आधार पर किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आपके अनुसार CRPC 313 के तहत दर्ज बयान को नहीं माना जाए क्योंकि आपके मुताबिक आपने टॉर्चर के बाद बयान दिया और आप दबाव में थे, तो ऐसे में फिर देश में कोई भी ट्रायल नहीं चल पाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषी विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय के लिए 10 दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल करे.

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मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया. दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये मामला पुनर्विचार का बनता ही नहीं है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि जो टॉर्चर थ्योरी ये बता रहे हैं, वह गलत है क्योंकि अगर ऐसा होता तो तिहाड़ जेल प्रशासन या निचली अदालत को बता सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में कहीं भी मौलिक अधिकारों का उल्लंधन नहीं हुआ है.

वहीं दोषी मुकेश की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उन्हें टॉर्चर किया गया. मैंने टॉर्चर को लेकर निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया. दोषी मुकेश की तरफ से कहा यह भी कहा गया कि जांच सही से नहीं की गई मैं मौके पर नहीं था. दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर बहस पूरी  हो चुकी है. अब दोषी विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगा.

पिछले साल 5 मई को दिल्ली ही नहीं बल्कि देश को हिला देने वाले 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में चार दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा था. फैसले के दौरान निर्भया के माता-पिता कोर्ट में मौजूद थे. फैसला सुनकर निर्भया की मां की आंखों में आंसू आ गए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया. दोषी अपराध के प्रति आसक्त थे. जैसे अपराध हुआ, ऐसा लगता है अलग दुनिया की कहानी है. जजों के फैसला सुनाने के बाद कोर्ट में तालियां बजीं थीं.

VIDEO : निर्भया गैंगरेप के दोषियों को मौत की सजा

गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी. दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद तीन जजों की बेंच को मामले को भेजा गया और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो एमिक्‍स क्यूरी नियुक्त किए थे.


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