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This Article is From Jan 11, 2020

Nirbhaya Case: 2 दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन पर 14 जनवरी को SC में सुनवाई, फांसी को उम्रकैद में बदलने की अपील

निर्भया मामले (Nirbhaya Case) में अदालत का फैसला आ चुका है. चारों दोषियों को फांसी की सजा मुकर्रर हो चुकी है. चारों के डेथ वारंट भी जारी किए जा चुके हैं. दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी.

Nirbhaya Case: 2 दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन पर 14 जनवरी को SC में सुनवाई, फांसी को उम्रकैद में बदलने की अपील
निर्भया के चारों दोषियों को 22 जनवरी को तिहाड़ में फांसी दी जाएगी.
नई दिल्ली:

निर्भया मामले (Nirbhaya Case) में अदालत का फैसला आ चुका है. चारों दोषियों को फांसी की सजा मुकर्रर हो चुकी है. चारों के डेथ वारंट भी जारी किए जा चुके हैं. दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी. दो दोषियों विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह ने फांसी की सजा से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है. उनकी याचिका पर अदालत 14 जनवरी को सुनवाई करेगी.

दोषियों की याचिका पर पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट की सूची के मुताबिक जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर बानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच याचिका पर सुनवाई करेगी. दोषियों ने अपनी पिटीशन में मांग की है कि उनके डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए. याचिका में फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का भी अनुरोध किया गया है.

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बताते चलें कि 16 दिसंबर, 2012 को निर्भया अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर घर लौट रही थी. पश्चिम दिल्ली के पास दोनों एक प्राइवेट बस में सवार हुए. बस में 6 लोग मौजूद थे. हैवानों ने चलती बस में निर्भया से गैंगरेप किया और हैवानियत की सभी हदों को पार कर दिया. निर्भया ने अस्पताल में कई दिनों तक मौत से जंग लड़ी लेकिन 29 दिसंबर को वह जिंदगी की जंग हार गई.

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निर्भया के चारों दोषी अंगदान नहीं कर पाएंगे. दिल्ली की एक अदालत ने चारों दोषियों के अंगदान कराने की अनुमति के लिए दायर की गई याचिका खारिज कर दी है. एक एनजीओ ने निर्भया केस के चारों दोषियों से तिहाड़ जेल में मुलाकात करने के लिए इजाजत मांगी थी. यह एनजीओ चारों दोषियों को अंगदान देने के लिए प्रेरित करना चाहती थी. एनजीओ आरएसीओ के संस्थापक राहुल शर्मा द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने कहा, 'मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता का दोषियों से किसी भी कारण से मिलने का आधार नहीं है, इसलिए जेल अधिकारियों को इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता.'

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