9 हाई कोर्ट ने निचली अदालतों में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का किया विरोध

केवल दो उच्च न्यायालयों ने ही निचली न्यायपालिका में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के विचार का समर्थन किया है.

9 हाई कोर्ट ने निचली अदालतों में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का किया विरोध

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

कानून मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है कि नौ उच्च न्यायालयों ने निचली न्यायपालिका के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा होने के एक प्रस्ताव का विरोध किया है जबकि आठ उच्च न्यायालयों ने प्रस्ताव की रूपरेखा में बदलाव की मांग की है. केवल दो उच्च न्यायालयों ने ही निचली न्यायपालिका में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के विचार का समर्थन किया है. विधि और न्याय पर संसद की परामर्शदाता समिति के सभी सदस्यों को भेजे गए दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि 24 उच्च न्यायालयों में से ज्यादातर उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायपालिका पर नियंत्रण चाहते हैं.

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अखिल भारतीय न्‍यायिक सेवा
नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में निचली न्यायपालिका के लिए अलग कैडर वाली एक नई सेवा के लिए अरसे से लंबित प्रस्ताव पर फिर से जोर दिया है. सबसे पहले यह विचार 1960 के दशक में पेश किया गया था. दस्तावेज के अनुसार, आंध्रप्रदेश, बंबई, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, पटना और पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय, अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआईजेएस) के विचार के पक्ष में नहीं हैं. इस दस्तावेज में कहा गया है कि केवल सिक्किम और त्रिपुरा उच्च न्यायालयों ने ही निचली अदालतों के लिए एक अखिल भारतीय सेवा की व्यवस्था किए जाने के लिए सचिवों की समिति द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के पक्ष में राय जाहिर की है.



इलाहाबाद, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा और उत्तराखंड उच्च न्यायलयों ने प्रवेश स्तर पर आयु सीमा, शिक्षा, प्रशिक्षण और प्रस्तावित सेवा के माध्यम से भरी जाने वाली रिक्तियों के कोटे में बदलाव का सुझाव दिया है. दस्तावेज में कहा गया है ''ज्यादातर उच्च न्यायालय चाहते हैं कि अधीनस्थ अदालतों पर उनका प्रशासनिक नियंत्रण बना रहे.''

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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