नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय परिसर में बुधवार को सुबह हुए बम विस्फोट की राज्यसभा में सभी दलों के सदस्यों ने एक स्वर में कठोर भर्त्सना करते हुए सरकार से कहा कि वह देश को अस्थिर करने के किसी भी प्रयास से कड़ाई से निपटे जबकि गृह मंत्री पी चिदंबरम ने दोषियों का पता लगाने और उन्हें कानून के शिकंजे में लाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि मामले की जांच एनआईए करेगी। गौरतलब है कि यह पहला मौका जब धमाके के तुरंत बाद ही जांच एनआईए को सौंप दी गई है, और दिल्ली पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा दिए विवरण के आधार पर विस्फोट के संदिग्धों के दो स्केच तैयार किए हैं।बम विस्फोट के बारे में चिदंबरम ने सदन में दिए गए एक बयान में कहा कि दिल्ली आतंकवादी गुटों के निशाने पर है। उन्होंने कहा संसद सत्र के दौरान दिल्ली में हाई अलर्ट जारी किया जाता है। जुलाई 2011 में दिल्ली पुलिस को कुछ संगठनों से मिली धमकियों से संबंधित सूचना दी गई थी। फिलहाल बम विस्फोट को अंजाम देने वाले संगठन की पहचान करना संभव नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले कुछ सालों में दिल्ली पुलिस को सुदृढ़ बनाने के अनेक उपाय करने, उसकी क्षमता को बढ़ाने तथा दिल्ली पुलिस के हाई अलर्ट पर रहने के बावजूद आज यह दुखद घटना हुई है। चिदम्बरम ने सदन और देशवासियों से अपील की, हमें दृढ़ निश्चयी और संगठित रहने की जरूरत है। हम आतंकवादी संगठनों से नहीं डरेंगे। हम इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले लोगों का पता लगाने तथा उन्हें कानून के समक्ष लाने के लिए कृत संकल्प हैं। हरकत उल जेहादी इस्लामी की ओर से लिखे गए कथित मेल एक टीवी चैनल को प्राप्त होने के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा, हुजी के मेल के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन हम इस पर गंभीरता से नजर रखे हुए हैं क्योंकि हुजी एक प्रमुख आतंकी संगठन है जो भारत को पहला निशाना मानता है। उन्होंने कहा कि अभी तक कोई स्पष्ट सुराग नहीं मिला है लेकिन हम विभिन्न संदिग्धों के बारे में कई कोणों पर काम कर रहे हैं। घटनास्थल पर कई तरह के जांच किये गए हैं लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है। कुछ और जांच प्रयोगशाला में किये जायेंगे और इससे ब्यौरा प्राप्त होगा। सिन्हा ने कहा, मैं समझता हूं कि हमें जल्द ही इस घटना में इस्तेमाल किए गए विस्फोटकों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। गौरतलब है कि टीवी चैनल को प्राप्त ईमेल में विस्फोट हुजी की ओर से किये जाने का दावा किया गया है और इसमें संसद भवन हमला मामले में मौत की सजा प्राप्त अफजल गुरू की सजा को वापस लेने की मांग की गई है। मांग नहीं माने जाने पर ऐसे ही हमले उच्चतम न्यायालय पर करने की धमकी दी गई है।