अयोध्या विवाद के समाधान के लिए नया प्रस्ताव, मंदिर और मस्जिद दोनों बनाने की बात

अयोध्या विवाद के समाधान के लिए नया प्रस्ताव, मंदिर और मस्जिद दोनों बनाने की बात

अयोध्या विवाद के समाधान के लिए नया प्रस्ताव आया है जिसमें दस हजार लोगों के हस्ताक्षर हैं.

खास बातें

  • याचिका पर करीब 10 हजार हिन्दुओं और मुस्लिमों के हस्ताक्षर
  • उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पलोक बसु कर रहे नेतृत्व
  • मुद्दे के समाधान का ‘स्थानीय’ प्रयास 18 मार्च 2010 को शुरू हुआ था
फैजाबाद-अयोध्या:

अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए फैजाबाद के मंडलायुक्त के समक्ष एक नया प्रस्ताव रखा गया है जिसमें विवादित स्थल पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनाने की बात कही गई है.

दावा किया गया है कि याचिका पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों से लगभग 10 हजार लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पलोक बसु इस पहल का नेतृत्व कर रहे हैं.

मंडलायुक्त एवं विवादित स्थल के प्रबंधकर्ता सूर्यप्रकाश मिश्रा ने कहा, ‘‘मुझे अयोध्या विवाद के संबंध में एक ज्ञापन और हस्ताक्षरयुक्त प्रतियां मिली हैं. अभी मुझे इस पर फैसला करना है कि क्या किया जाना है.’’ बसु ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इसका संज्ञान लेगा. याचिका कल सौंपी गई जिस पर 10,502 लोगों के हस्ताक्षर हैं .

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उच्चतम न्यायालय में अधिकृत व्यक्ति (फैजाबाद मंडलायुक्त) के जरिए यह समझौता प्रक्रिया शुरू की है. हमें उम्मीद है कि शीर्ष अदालत शांति एवं सौहार्द की जन भावनाओं का सम्मान करेगी.’’ बसु ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रस्तावित किया है कि विवादित स्थल पर राम मंदिर और मस्जिद दोनों होंगे.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर 2010 को विवादित स्थल के दो हिस्से निर्मोही अखाड़ा तथा राम लला के ‘‘मित्र’’ को दिए जाने तथा एक हिस्सा मुसलमानों को दिए जाने का आदेश दिया था, जो उत्तर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल बोर्ड को गया.

बसु ने कहा कि मुद्दे के समाधान का उनका ‘‘स्थानीय’’ प्रयास 18 मार्च 2010 को शुरू हुआ था.

विगत में बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य वादी हाशिम अंसारी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञान दास के साथ मामले को अदालत से बाहर सुलझाने पर चर्चा की थी जिसमें करीब 70 एकड़ क्षेत्र में फैले विवादित स्थल पर 100 फुट ऊंची विभाजक दीवार के साथ मंदिर और मस्जिद दोनों रखे जाने के बारे में बात की गई थी. विश्व हिन्दू परिषद ने प्रस्ताव को उच्च न्यायालय का अपमान बताकर खारिज कर दिया था. अंसारी का इस साल जुलाई में निधन हो गया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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