काम करने के घंटे, पीएफ, सुविधाएं, अगर सरकार की मानें तो नए लेबर कोड (New Labour Code) लागू हो गए तो श्रम बाजार में नया सुधार आएगा. इसी मामले पर श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्र ने एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में कहा कि चार लेबर कोड्स हैं, जो नोटिफाई हो गए हैं. रूल्स के ऊपर कार्यवाही चल रही है. हम निर्णय के अंतिम स्तर पर हैं. हम ये कोड्स कभी भी लागू कर सकते हैं. 70 साल से चल रहे ये नियम कानून बदल जाएंगे. नए कानून अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं. इसमें काम करने के4 दिन 12 घंटे काम करने की सुविधा और 3 दिन अवकाश की सुविधा की बात भी कही गई है.
इसके तहत लेबर और एंप्लॉयर्स की सुविधाओं का ख्याल रखा गया है. रोजगार बढ़ने की भी उम्मीद है. इसके साथ ही लेबर को स्किल्स बढ़ाने का इंसेंटिव मिलेगा.काम करने के घंटों को लेकर कोड कहता है कि एक हफ्ते में 48 घंटे से ज़्यादा काम नहीं करना चाहिए. इससे ज़्यादा काम करने पर ओवर टाइम दिया जाए. ऐसे ही 3 महीने में 125 घंटे से ज़्यादा ओवरटाइम पर भी काम नहीं कर सकता. 4 दिन काम करवाकर चाहें तो इसको मानते हुए 3 दिन अवकाश दें (ऑप्शनल). वर्कर और एंप्लॉयर्स की सहमति हो तो हम इस फ्लेक्सिबिलिटी को रखने का प्रावधान रख रहे हैं.
वर्क फ्रॉम होम : IT और ऐसी ही अन्य सर्विसेज के लिए स्टैंडिंग ऑर्डर निकाला है, जिसमे वर्क फ्रॉम होम का प्रावधान रहे, ये सुविधा नए कोड में रखी है.
ESIC इनकम ग्रुप वाली कैटेगरी में इसको बढ़ाने की चर्चा तो नहीं पर जो लोग 21 हज़ार से थोड़ा ऊपर निकल जाते हैं उनके बेनिफिट्स ख़त्म हो जाते हैं। उनको कैसे आगे बढ़ा सकें उसकी अलग से स्कीम बनाएंगे.
अलाउंस : कुछ लोगों का कहना है कि वेजेज (wages) की जो डेफिनिशन है उसमें कई अलाउंस शामिल नहीं हैं और अलाउंस की डेफिनेशन के मुताबिक वेजेज बढ़ जाएंगे तो कंपनी को अधिक ग्रेच्युटी या PF देना पड़ेगा और वर्कर्स कि टेक होम सैलरी कम हो जाएगी. तो नियम के अंदर हम इसको सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.
PF: पीएफ 15 हज़ार के ऊपर वॉलंटरी है तो पीएफ कर्मचारी और कंपनी आपस में तय कर सकते हैं, इसमें बंधन नहीं. ग्रेच्युटी में हम कोशिश करेंगे नियम में कि दोनों का लाभ हो.
उन्होंने आगे कहा कि लेबर कोड को लेकर हमारी पूरी तैयारी है. अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर्स में काम करने वालों को लेकर हमारी कोशिश है कि जो किसी प्लेटफॉर्म ई वर्कर्स हैं, या जो ओला उबर, अमेज़न आदि से जुड़े हैं, इसमें प्लेटफॉर्म कुछ कंट्रीब्यूट करें ये बात चल रही है। पहली कोशिश होगी कि ESIC के माध्यम से इनको हेल्थकेयर और बाकी सुविधा दें. कंस्ट्रक्शन से जुड़े मजदूर को आयुष्मान भारत स्कीम के ज़रिए इनको हेल्थ की सुविधा मुहैया कराएं ये कोशिश है.
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