
भगवंत मान (फाइल फोटो)
- आरके सिंह ने कहा, 'अब पूरे सिस्टम को दुबारा से रिव्यू करना पड़ेगा
- माफी मांगने से पहले भगवंत कह चुके थे कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया
- 13 दिसंबर 2001 को 13 लोग इस संसद की सुरक्षा में शहीद हो चुके हैं
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दरअसल 13 दिसंबर 2001 को संसद के गेट नम्बर एक से सफ़ेद ऐम्बैसडर कार जिसने संसद का स्टिकर लगा हुआ था, वो दाख़िल हुई थी लेकिन अंदर पहुंचने के बाद संसद के भीतर कैसे घुसना है इस बारे में आतंकवादियों को कोई जानकारी नहीं थी इसीलिए वो अंदर दाख़िल नहीं हो पाए। लेकिन मान के वीडीयो के बाद ये जानकारी आम हो गई है।
यही नहीं, बिल्डिंग के अंदर का ले आउट क्या है ये बात भी कुछ हद तक लोगों को पता चल गई है। इसी बात को लेकर सांसदों में चिंता है। उन्होंने स्पीकर सुमित्रा महाजन को शिकायत की और मान के ख़िलाफ़ ऐक्शन लेने की मांग की। लोकसभा अध्यक्ष ने याद किया कि 13 लोग इस संसद की सुरक्षा में शहीद हो चुके हैं। स्पीकर सुचित्रा महाजन ने मीडिया से कहा, "मैंने एक संयुक्त आयुक्त को इस मामले की जांच करने को कहा है। ये सही बात नहीं है क्योंकि सांसदों को जिम्मेदार होना चाहिए, लापरवाह नहीं।"
उधर गृह मंत्रालय मानता है कि नॉर्थ ब्लॉक से ही भगवंत मान ने सुरक्षा को तोड़ने का काम शुरू कर दिया। मंत्रालय का कहना है...
- यहां से संसद भवन तक कैमरे का इस्तेमाल नहीं हो सकता
- इससे गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मियों को देखा जा सकता है
- कितनों के पास हथियार हैं या नहीं ये भी वीडियो में दिखाई दे रहा है
- क्विक रिस्पॉन्स टीम वाले भी दिखाई पड़ते हैं
- व्हीकल स्कैनिंग सिस्टम से भी जानकारी मिल गई है
- गाड़ी भीतर जाने में लगने वाले समय की जानकारी इस वीडियो से मिली है
पूर्व गृह सचिव आरके सिंह ने कहा, 'अब पूरे सिस्टम को दुबारा से रिव्यू करना पड़ेगा।' सिंह बीजेपी के सांसद हैं और संसद की सुरक्षा को लेकर बनाई गई कमेटी के सदस्य भी। माना ये जा रहा है कि भगवंत मान की इस हरक़त के बाद संसद की सुरक्षा के इंतज़ाम भी बदलने होंगे। कुछ ढिलाइयां भी दूर की जाएंगी। गेट 1 और 2 पर गाड़ियों का स्कैनिंग सिस्टम बदलना होगा। रेडियो फ्रीक्वेंसी टैग भी बदला जाएगा। संसद के 450 सीसीटीवी कैमरों में 100 काम नहीं कर रहे, ये कैमरे बदलने का काम शुरू हो गया है।
हालांकि बिना शर्त माफी मांगने से पहले भगवंत मान कह चुके थे कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। मान ने कहा, "मैंने अपने लोगों को सवाल पूछने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देनी चाही थी।" दरअसल संसद की सुरक्षा के लिए 30 जुलाई 2014 को एक कमेटी बनी थी जिसे नौ मार्च 2015 तक अपनी रिपोर्ट दी थी, लेकिन यह काम भी अटका हुआ है। अब ताजा मामले के बाद शायद उसमें फेरबदल हो।
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