नेपाल में आए भूकंप ने हिमालय की तराइयों में बसे इस सुंदर देश को काफी नुकसान पहुंचाया है। राजधानी काठमांडु के केंद्र में होने के कारण वहां राहत जल्दी पहुंचायी जा सकी है, लेकिन दूरदराज़ के गांव और सुदूरवर्ती इलाके अब भी सरकारी मदद की बाट जोह रहे हैं।
ऐसे में एनडीटीवी के हृदयेश जोशी और शालिग्राम पहुंचे कोइराला विश्वकर्मा गांव, जहां इस आपदा के दो दिनों के बाद भी अब तक कोई सहायता नहीं पहुंची है, न ही वहां कोई मीडिया टीम पहंच पाई है।
यहां ज्यादातर कच्चे मकान थे, जो पूरी तरह से मिट्टी में मिल गए हैं। आसपास चारों तरफ़ सिर्फ मलबा ही बिखरा पड़ा है।
इस गांव में मुख़्य रूप से विश्वकर्मा समुदाय के लोग रहते हैं, जो इस कठिन वक्त में एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं। भूकंप के दौरान दो बच्चे अपनी मां के साथ घर पर सोए थे, मिट्टी में दब गए थे, पर उन्हें बाद में सकुशल बचा लिया गया है। इनमें से एक बच्चा डेढ़ साल का है।
गांववालों का कहना है कि अब तक तो लोगों ने एक-दूसरे की मदद की है पर इन्हें सरकारी मदद की जरूरत है। हृदयेश जोशी इससे पहले काठमांडु से थोड़ी दूर पर बसे नौगांव पहुंचे, जहां सभी घर तबाह हो गए हैं और अभी तक वहां भी कोई मीडियाकर्मी या राहतकर्मी नहीं पहुंचे हैं।
एक बुज़ुर्ग महिला ने एनडीटीवी को बताया कि वह रोएंगी नहीं और न ही अपना घर छोड़कर कहीं और जाएंगी, बल्कि अपने टूटे घर को फिर से बनाएंगी।
नौगांव और कोइराला गांव नेपाल से 10 किमी दूर है। यहां अब तक कोई मदद नहीं पहुंची है।
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