यह ख़बर 28 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

नौसेना ने साल 2010 में ही सरकार को पनडुब्बियों की 'खराब' स्थिति के बारे में चेताया था

आईएनएस सिंधुरत्न की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

भारतीय नौसेना ने साल 2010 के बाद से ही सरकार को कई बार यह चेतावनी दी थी कि संख्या और संचालन क्षमता दोनों ही हिसाब से उसके पनडुब्बी बेड़े की खराब स्थिति ने समुद्र के रास्ते होने वाले किसी भी हमले की स्थिति में भारत की सुरक्षा को खतरे में डाल रखा है।

प्रधानंत्री कार्यालय और रक्षा मंत्रालय को सौंपी अपनी एक गोपनीय रिपोर्ट में नौसेना ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि साल 2015 तक भारत की पनडुब्बी क्षमता घटकर सबसे कम रह जाएगी। इस मतलब हुआ कि अगले साल तक हिंद महासागर में भारत की उप सतही क्षमता और एंटी एक्सेस क्षमता अब तक की सबसे खराब स्थिति में पहुंच जाएगी।

नौसेना मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, उसने हर साल अपनी इस चिंता को जाहिर किया है, लेकिन इस संबंध नई खरीदारी के लिए कुछ भी नहीं किया गया।

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गौरतलब है कि भारत के पास फिलहाल केवल सात पारंपरिक पनडुब्बियां हैं। इसे नए और पुराने मरम्मत कराए पोतों सहित कम से कम कुल 15 पनडुब्बियों की जरूरत है।