नारद स्टिंग ऑपरेशन को लेकर तृणमूल कांग्रेस नेता सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे हैं.
नई दिल्ली:
नारद स्टिंग मामले में तृणमूल कांग्रेस नेता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. इस मामले में स्वागत राय व अन्य नेताओं ने याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में मंगलवार को सुनवाई करेगा.
गौरतलब है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने नारद स्टिंग मामले में शुक्रवार को सीबीआई को प्रारंभिक जांच के आदेश दिए थे. इसमें तृणमूल कांग्रेस के कई नेता कथित तौर पर घूस लेते नजर आए थे. बेंच ने सीबीआई को 24 घंटे के भीतर स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित सभी सामग्री और उपकरण अपने कब्जे में लेने और 72 घंटे के भीतर प्रारंभिक जांच को निष्कर्ष पर पहुंचाने के निर्देश दिए. अदालत ने कहा कि प्रारंभिक जांच पूरी होने के बाद जरूरत पड़ने पर सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करे और उसके बाद औपचारिक जांच शुरू करे.
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारद स्टिंग के टेप विभिन्न समाचार संगठनों को जारी किए गए थे. इसमें कुछ नेता कथित तौर पर घूस लेते दिखाई दिए थे. खंडपीठ ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी, चंडीगढ़ की उस रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि इन टेपों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है. नारद न्यूज के संपादक मैथ्यू सैम्यूल ने अदालत को बताया कि रिकॉर्डिंग आईफोन की मदद से की गई और उसे लैपटॉप में डाला गया जहां से उसे एक पेन ड्राइव में लिया गया.
हाई कोर्ट द्वारा गठित एक समिति ने इन सभी उपकरणों को कब्जे में ले लिया. अदालत ने कहा कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, वे मंत्री, सांसद और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए यह उचित होगा कि प्रारंभिक जांच की जिम्मेदारी राज्य की किसी एजेंसी के बजाय सीबीआई को सौंपी जाए. कोर्ट ने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सीबीआई सबसे उपयुक्त एजेंसी है. स्टिंग टेपों की विश्वसनीयता के परीक्षण के बाद इनकी स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए हाई कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गईं थीं.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस विवादास्पद नारद स्टिंग ऑपरेशन में कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं और एक आईपीएस अधिकारी को धन स्वीकारते दिखाया गया था. ममता बनर्जी ने 17 जून को कोलकाता पुलिस को नारद स्टिंग ऑपरेशन की जांच का आदेश दिया था और जोर देकर कहा था कि उनकी पार्टी ने सारदा चिटफंड घोटाले और नारद स्टिंग ऑपरेशन में शामिल किसी से ‘एक भी पाई’ नहीं ली थी.
गौरतलब है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने नारद स्टिंग मामले में शुक्रवार को सीबीआई को प्रारंभिक जांच के आदेश दिए थे. इसमें तृणमूल कांग्रेस के कई नेता कथित तौर पर घूस लेते नजर आए थे. बेंच ने सीबीआई को 24 घंटे के भीतर स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित सभी सामग्री और उपकरण अपने कब्जे में लेने और 72 घंटे के भीतर प्रारंभिक जांच को निष्कर्ष पर पहुंचाने के निर्देश दिए. अदालत ने कहा कि प्रारंभिक जांच पूरी होने के बाद जरूरत पड़ने पर सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करे और उसके बाद औपचारिक जांच शुरू करे.
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारद स्टिंग के टेप विभिन्न समाचार संगठनों को जारी किए गए थे. इसमें कुछ नेता कथित तौर पर घूस लेते दिखाई दिए थे. खंडपीठ ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी, चंडीगढ़ की उस रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि इन टेपों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है. नारद न्यूज के संपादक मैथ्यू सैम्यूल ने अदालत को बताया कि रिकॉर्डिंग आईफोन की मदद से की गई और उसे लैपटॉप में डाला गया जहां से उसे एक पेन ड्राइव में लिया गया.
हाई कोर्ट द्वारा गठित एक समिति ने इन सभी उपकरणों को कब्जे में ले लिया. अदालत ने कहा कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, वे मंत्री, सांसद और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए यह उचित होगा कि प्रारंभिक जांच की जिम्मेदारी राज्य की किसी एजेंसी के बजाय सीबीआई को सौंपी जाए. कोर्ट ने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सीबीआई सबसे उपयुक्त एजेंसी है. स्टिंग टेपों की विश्वसनीयता के परीक्षण के बाद इनकी स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए हाई कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गईं थीं.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस विवादास्पद नारद स्टिंग ऑपरेशन में कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं और एक आईपीएस अधिकारी को धन स्वीकारते दिखाया गया था. ममता बनर्जी ने 17 जून को कोलकाता पुलिस को नारद स्टिंग ऑपरेशन की जांच का आदेश दिया था और जोर देकर कहा था कि उनकी पार्टी ने सारदा चिटफंड घोटाले और नारद स्टिंग ऑपरेशन में शामिल किसी से ‘एक भी पाई’ नहीं ली थी.
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