ग्रामीण विकास पर संसद की स्थाई समिति की बैठक में सांसदों ने यह सुझाव रखा कि कोरोना संकट के इस दौर में मनरेगा के तहत हर साल कम से कम 100 दिन रोजगार देने के प्रावधान को बढ़ाकर डेढ़ सौ से 200 दिन किया जाए.संसद की स्थाई समिति की बैठक में यह तथ्य रखा गया कि पिछले साल औसत रोजगार 7.9 करोड़ लोगों को मिला था जो इस साल अब तक नौ करोड़ से ज्यादा लोगों को मिल चुका है. जो दर्शाता है कि मनरेगा में औसत से काफी ज्यादा रोजगार पैदा करने की क्षमता है और इस करोना संकट के दौर में मनरेगा का इस्तेमाल और ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए होना चाहिए.
ओडीशा और हिमाचल प्रदेश सरकार पहले ही साल में कम से कम 200 दिन मनरेगा के तहत रोजगार देने की पहल शुरू कर चुकी हैं.बैठक में मनरेगा के तहत मजदूरी की पेमेंट में हो रही देरी का सवाल भी उठा. यह सुझाव रखा गया कि इस मुश्किल दौर में मजदूरों को उनकी मजदूरी का पेमेंट समय पर देना बेहद जरूरी है.महिलाओं की भागीदारी मनरेगा में घट रही है इस पर भी बैठक में चिंता जताई गई.
बैठक में यह सुझाव भी रखा गया कि मनरेगा के तहत मशीनरी के इस्तेमाल को भी इजाजत दी जानी चाहिए जिससे कि ज्यादा स्थाई काम क्रिएट किया जा सके जैसे कि Black Topping of the Rural Roads या फिर Embankment का निर्माण भी मनरेगा के तहत कार्यों की सूची में include किया जाना चाहिए. बैठक में सदस्यों ने यह मांग रखी कि मनरेगा के तहत हो रहे काम की सोशल ऑडिट की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अनिवार्य होनी चाहिए.
कुछ सांसदों ने संसदीय समिति की बैठक में मनरेगा के तहत मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायतों का सवाल भी उठाया और कहा कि इस तरह की शिकायतों से सख्ती से निपटना बेहद जरूरी है साथ ही सांसदों ने बैठक में यह सुझाव भी रखा की मौजूदा वेज एंड मटेरियल रेशियो 60:40 से बदलकर 40:60 किया जाए तो बेहतर होगा इससे मनरेगा के तहत किए जा रहे काम में स्थाई एसेट बनाने में भी मदद मिलेगी.
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