घाटी में अबतक 100 से ज्यादा लोग गिरफ्तार, पढ़ें- धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर के कैसे हैं हालात

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं समेत 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है.

घाटी में अबतक 100 से ज्यादा लोग गिरफ्तार, पढ़ें- धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर के कैसे हैं हालात

अधिकारियों के मुताबिक पत्थरबाजी की छिटपुट घटनाओं को छोड़कर राज्य के तीनों क्षेत्रों में हालात 'सहज' हैं.

खास बातें

  • अधिकारियों के मुताबिक घाटी में हालात सामान्य हैं
  • पत्थरबाजी की छिटपुट घटनाएं हुई हैं
  • 100 से ज्यादा नेता और कार्यकर्ता गिरफ्तार किये गए हैं
जम्मू:

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटा दिया गया है. इससे जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा भी खत्म हो गया है. संसद ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल भी पारित कर दिया है. इस बिल के पास होने के बाद बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा जाएगा. इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के सरकार के कदम की कांग्रेस सहित कई पार्टियां विरोध कर रही है. इस बीच जम्मू-कश्मीर से खबर है कि वहां पत्थरबाजी की छिटपुट घटनाओं को छोड़कर जम्मू-कश्मीर के तीनों क्षेत्रों में हालात 'सहज' हैं.  अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.  

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अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं समेत 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है क्योंकि उनसे कश्मीर घाटी में शांति भंग होने का खतरा था. यह गिरफ्तारियां केन्द्र द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के ऐलान के कुछ घंटों बाद की गई हैं. घाटी में संचार सेवाएं बंद हैं और कई तरह की पाबंदियां लागू हैं. अधिकारियों ने कहा कि, 'पत्थरबाजी की कुछ घटनाओं की जानकारी मिली है.' राज्य प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि श्रीनगर में कुछ दुकानें खुलीं और पाबंदियों के बावजूद सड़कों पर लोगों की आवाजाही बढ़ी है. उन्होंने कहा कि अब हालात ‘सहज' हैं.   

क्‍या है धारा 370? जानिए इसके बारे में सबकुछ
आर्टिकल 370 है क्‍या और इसके हटाने के क्‍या मायने है? धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं:

  • इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
  • इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्‍त करने का अधिकार नहीं है.
  • जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
  • भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
  • जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.
  • इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते.
  • भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.
  • जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
  • भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं.
  • जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी. इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी.
  • धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते हैं.
  • कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.
  • कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है.
  • धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.
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