बीजेपी नेता एकनाथ खड़से (फाइल फोटो)
मुंबई:
शनिवार दोपहर मुख्यमंत्री आवास छोड़ते वक़्त ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से के भाग्य का फैसला हो चुका था। राजस्व मंत्री पद के साथ खड़से को बाकी ग्यारह विभागों की जिम्मेदारी भी छोड़नी पड़ी। देर शाम खड़से का इस्तीफ़ा महाराष्ट्र के राज्यपाल चे विद्यासागर राव ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की सिफारिश पर मंजूर कर लिया। खड़से के दर्जनभर विभागों का जिम्मा अगले आदेश तक मुख्यमंत्री के पास रहेगा।
इस्तीफ़े का ऐलान करने बीजेपी प्रदेश मुख्यालय पहुंचे एकनाथ खड़से ने जाते-जाते महाराष्ट्र कैबिनेट के बाकी दाग़दार मंत्रीयों के बचे होने पर सवाल उठाया। खचाखच भरी प्रेस कांफ्रेस में एकनाथ खड़से ने कहा, 'बीजेपी ने हमेशा राजनीतिक मूल्यों का पालन किया है। नितिन गडकरी हों या लालकृष्ण आडवाणी उनपर जब आरोप लगे तब उन्होंने जांच जारी रहते पद से दूर रहना बेहतर समझा। इसी तर्ज़ पर, भले ही मुझपर लगे आरोप बेबुनियाद हों, मैंने मुख्यमंत्री को सूचित किया है कि मैं भी अपने पद से दूर होना चाहता हूं।
मौजूदा स्थिति में महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार में पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से के साथ आधा दर्जन मंत्रियों का दामन शुरुआती डेढ़ साल में लगे आरोपों से दाग़दार हो चुका है।
राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से - माफिया सरगना दाऊद से बातचीत और भोसरी MIDC में ज़मीन पर कब्ज़े के आरोप के चलते विवादों में हैं।
खाद्य एवम् आपूर्ती मंत्री गिरीश बापट पर दाल के दाम में बेवजह उछाल के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगा है।
शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े की इंजीनियरिंग की डिग्री की सत्यता पर सवाल उठे हैं।
महिला एवम् बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे चिक्की खरीदी में अनियमितता का आरोप झेल चुकी हैं।
जल आपूर्ती मंत्री बबनराव लोणिकर के चुनावी हलफनामे पर सवालिया निशान लगा है।
और गृह राज्यमंत्री डॉ. रणजीत पाटिल जमीन खरिदी में अनियमितता का आरोप झेल रहे हैं।
विवादों की इस फेहरिस्त में से कुछ आरोपों को लेकर कोर्ट में मामले भी दाखिल हो चुके हैं। बावजूद अभी तक केवल एकनाथ खड़से के अलावा बाकी एक भी विवादित मंत्री पर कार्रवाई नहीं हुई।
विपक्ष ने इसी को मुद्दा बनाकर अब राज्य की बीजेपी सरकार को घेरने का प्लान बनाया है। राज्य विधान परिषद में नेता विपक्ष धनंजय मुंडे ने सवाल उठाया है कि बाकि दाग़दार मंत्रीयों पर कार्रवाई की हिम्मत सरकार कब दिखाएगी?
इस बीच एकनाथ खड़से के चुनाव क्षेत्र में उनके समर्थकों ने आंदोलन कर अपना गुस्सा उतारा। तो शिवसेना ने पटाखे छोड़ कर अपनी ख़ुशी जाहिर की।
इस्तीफ़े का ऐलान करने बीजेपी प्रदेश मुख्यालय पहुंचे एकनाथ खड़से ने जाते-जाते महाराष्ट्र कैबिनेट के बाकी दाग़दार मंत्रीयों के बचे होने पर सवाल उठाया। खचाखच भरी प्रेस कांफ्रेस में एकनाथ खड़से ने कहा, 'बीजेपी ने हमेशा राजनीतिक मूल्यों का पालन किया है। नितिन गडकरी हों या लालकृष्ण आडवाणी उनपर जब आरोप लगे तब उन्होंने जांच जारी रहते पद से दूर रहना बेहतर समझा। इसी तर्ज़ पर, भले ही मुझपर लगे आरोप बेबुनियाद हों, मैंने मुख्यमंत्री को सूचित किया है कि मैं भी अपने पद से दूर होना चाहता हूं।
मौजूदा स्थिति में महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार में पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से के साथ आधा दर्जन मंत्रियों का दामन शुरुआती डेढ़ साल में लगे आरोपों से दाग़दार हो चुका है।
राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से - माफिया सरगना दाऊद से बातचीत और भोसरी MIDC में ज़मीन पर कब्ज़े के आरोप के चलते विवादों में हैं।
खाद्य एवम् आपूर्ती मंत्री गिरीश बापट पर दाल के दाम में बेवजह उछाल के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगा है।
शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े की इंजीनियरिंग की डिग्री की सत्यता पर सवाल उठे हैं।
महिला एवम् बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे चिक्की खरीदी में अनियमितता का आरोप झेल चुकी हैं।
जल आपूर्ती मंत्री बबनराव लोणिकर के चुनावी हलफनामे पर सवालिया निशान लगा है।
और गृह राज्यमंत्री डॉ. रणजीत पाटिल जमीन खरिदी में अनियमितता का आरोप झेल रहे हैं।
विवादों की इस फेहरिस्त में से कुछ आरोपों को लेकर कोर्ट में मामले भी दाखिल हो चुके हैं। बावजूद अभी तक केवल एकनाथ खड़से के अलावा बाकी एक भी विवादित मंत्री पर कार्रवाई नहीं हुई।
विपक्ष ने इसी को मुद्दा बनाकर अब राज्य की बीजेपी सरकार को घेरने का प्लान बनाया है। राज्य विधान परिषद में नेता विपक्ष धनंजय मुंडे ने सवाल उठाया है कि बाकि दाग़दार मंत्रीयों पर कार्रवाई की हिम्मत सरकार कब दिखाएगी?
इस बीच एकनाथ खड़से के चुनाव क्षेत्र में उनके समर्थकों ने आंदोलन कर अपना गुस्सा उतारा। तो शिवसेना ने पटाखे छोड़ कर अपनी ख़ुशी जाहिर की।
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