मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने को लेकर हंगामा
नई दिल्ली:
मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर करने के फ़ैसले को लेकर शुक्रवार को राज्यसभा में जम कर हंगामा हुआ. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार एक पुरानी पहचान को ख़त्म करने पर तुली है, जबकि सरकार ने कहा कि मुगलसराय से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की याद जुड़ी है. यहीं उनकी मौत हुई थी.
शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद नरेश अग्रवाल ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के फैसले का विरोध किया और सवाल उठाया कि एक ऐतिहासिक पहचान वाली जगह का नाम बदलने के पीछे मंशा राजनीतिक है. जल्दी ही सपा के कई सांसद सदन के वेल में पहुंच गये और इस मसले पर सदन की कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा की मांग करने लगे. बसपा और कांग्रेस के सांसद भी इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के साथ दिखे. कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा - मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने का कोई औचित्य ही नहीं है.
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जवाब में संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि एक मुगल नाम की जगह एक राष्ट्रवादी नेता पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर स्टेशन का नाम रखने का विरोध कैसे हो सकता है. मुंबई में वीटी स्टेशन का नाम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस किया गया है.
मुगलसराय स्टेशन 1862 में बना रेलवे स्टेशन है- जहां से हर रोज़ 300 गाड़ियां गुज़रती हैं. कुछ लोग इस फ़ैसले से उत्साहित हैं, कुछ इसे एक गलत फैसला बता रहे हैं.
जनसंघ के वरिष्ठ नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने 1968 में मुगल सराय में ही आख़िरी सांस ली. उनका शव जंक्शन पर रेल यार्ड में पश्चिमी केबिन के पास संदिग्ध हालत में मिला था.
दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष
दरअसल,बीजेपी इस साल पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है. योगी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मुगलसराय के मुख्य मार्ग का नाम दीनदयाल के नाम पर करने, प्रमुख चौराहे पर उनकी प्रतिमा लगाने और उसका नाम दीनदयाल चौक करने का भी निर्णय लिया था. इस बैठक में कहा गया था कि दीनदयाल उपाध्याय का निष्प्राण शरीर मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर मिला था.
पढ़ें: संसद में गूंजा ब्लू व्हेल गेम का मुद्दा, बैन लगाने की मांग, पढ़ें क्या है पूरा मामला
गुरुवार को विदेशनीति पर हुआ था हंगामा
इससे पहले संसद में गुरुवार की कार्यवाही भी जोरदार रही. विपक्ष ने सरकार की विदेश नीति को लेकर सवाल उठाए थे. इसके बाद सुषमा स्वराज ने कई मुद्दों पर संसद में बयान दिया. उन्होंने डोकलाम के मुद्दे पर भी संसद में बयान दिया. उन्होंने कहा कि हमने अपने सभी पड़ोसियों का साथ दिया और जो चीन हमें श्रीलंका में घेर रहा था, उसके खतरे को हमने कम किया. इस दौरान चीन-भारत में डोकलाम पर तनातनी को लेकर सुषमा स्वराज ने कहा कि हम हर संभव संबंधों को बेहतर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर समस्या का समाधान युद्ध से नहीं निकल सकता, बल्कि राजनयिक कोशिशों से निकलता है. सुषमा स्वराज ने कहा कि आज सामरिक क्षमता बढ़ाने से ज्यादा अहम है आर्थिक क्षमता को बढ़ाना.
शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद नरेश अग्रवाल ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के फैसले का विरोध किया और सवाल उठाया कि एक ऐतिहासिक पहचान वाली जगह का नाम बदलने के पीछे मंशा राजनीतिक है. जल्दी ही सपा के कई सांसद सदन के वेल में पहुंच गये और इस मसले पर सदन की कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा की मांग करने लगे. बसपा और कांग्रेस के सांसद भी इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के साथ दिखे. कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा - मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने का कोई औचित्य ही नहीं है.
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जवाब में संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि एक मुगल नाम की जगह एक राष्ट्रवादी नेता पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर स्टेशन का नाम रखने का विरोध कैसे हो सकता है. मुंबई में वीटी स्टेशन का नाम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस किया गया है.
मुगलसराय स्टेशन 1862 में बना रेलवे स्टेशन है- जहां से हर रोज़ 300 गाड़ियां गुज़रती हैं. कुछ लोग इस फ़ैसले से उत्साहित हैं, कुछ इसे एक गलत फैसला बता रहे हैं.
जनसंघ के वरिष्ठ नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने 1968 में मुगल सराय में ही आख़िरी सांस ली. उनका शव जंक्शन पर रेल यार्ड में पश्चिमी केबिन के पास संदिग्ध हालत में मिला था.
दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष
दरअसल,बीजेपी इस साल पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है. योगी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मुगलसराय के मुख्य मार्ग का नाम दीनदयाल के नाम पर करने, प्रमुख चौराहे पर उनकी प्रतिमा लगाने और उसका नाम दीनदयाल चौक करने का भी निर्णय लिया था. इस बैठक में कहा गया था कि दीनदयाल उपाध्याय का निष्प्राण शरीर मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर मिला था.
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गुरुवार को विदेशनीति पर हुआ था हंगामा
इससे पहले संसद में गुरुवार की कार्यवाही भी जोरदार रही. विपक्ष ने सरकार की विदेश नीति को लेकर सवाल उठाए थे. इसके बाद सुषमा स्वराज ने कई मुद्दों पर संसद में बयान दिया. उन्होंने डोकलाम के मुद्दे पर भी संसद में बयान दिया. उन्होंने कहा कि हमने अपने सभी पड़ोसियों का साथ दिया और जो चीन हमें श्रीलंका में घेर रहा था, उसके खतरे को हमने कम किया. इस दौरान चीन-भारत में डोकलाम पर तनातनी को लेकर सुषमा स्वराज ने कहा कि हम हर संभव संबंधों को बेहतर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर समस्या का समाधान युद्ध से नहीं निकल सकता, बल्कि राजनयिक कोशिशों से निकलता है. सुषमा स्वराज ने कहा कि आज सामरिक क्षमता बढ़ाने से ज्यादा अहम है आर्थिक क्षमता को बढ़ाना.
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