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This Article is From Aug 13, 2021

विधायिका में चर्चा-बहस हो, बाहर की सियासी लड़ाई सदन की टेबल पर नहीं लड़ी जाए : राज्‍यसभा में हंगामे पर वेंकैया नायडू

हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर वेंकैया नायडू ने कहा कि इस बारे में विस्तृत विचार विमर्श चल रहा है जिसके बाद जल्दी से जल्दी इस बारे में फैसला किया जाएगा.

विधायिका में चर्चा-बहस हो, बाहर की सियासी लड़ाई सदन की टेबल पर नहीं लड़ी जाए : राज्‍यसभा में हंगामे पर वेंकैया नायडू
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा, सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष उनकी दो आँखों की तरह हैं
नई दिल्ली:

संसद का मॉनसून सत्र इस बार हंगामे की भेंट चढ़ गया. पेगासस स्‍कैंडल और कृषि कानून के मुद्दे पर दोनों सदनों राज्‍यसभा और लोकसभा की कार्यवाही लगातार बाधित हुई और कामकाम नहीं हो सकता. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष उनकी दो आँखों की तरह हैं और उनके लिए दोनों बराबर हैं. उन्‍होंने कहा कि ठीक तरह से दोनों आँखों से ही देखा जा सकता है और उनकी नजर में दोनों पक्ष बराबर हैं, उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही सुचारुपूर्ण ढंग से चलाने के लिए दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है, अगर उनके सदन चलाने को लेकर किसी व्यक्ति का अलग मत है तो यह उनकी बुद्धिमत्ता पर निर्भर करता है. 

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राज्यसभा के सभापति  और उप राष्‍ट्रपति नायडू ने कहा कि विधायिका में चर्चा और बहस होनी चाहिए, बाहर की राजनीतिक लड़ाई सदन की टेबल पर नहीं लड़ी जानी चाहिए. सदन में हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि इस बारे में विस्तृत विचार विमर्श चल रहा है जिसके बाद जल्दी से जल्दी इस बारे में फैसला किया जाएगा. बिलों को संसदीय समिति को भेजे जाने के बारे  में उन्होंने कहा कि जब भी इस बारे में मतभेद होता है, सदन मिलकर फैसला करता है.पीठासीन अधिकारी किसी एक पक्ष के बारे में निर्णय नहीं कर सकता.

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केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसद के मानसून सत्र में वर्ष 2014 के बाद ‘‘सबसे अधिक हंगामे'' के बावजूद राजयसभा में औसतन एक से अधिक विधेयक हर दिन पारित किया गया. सत्र के दौरान उच्च सदन में राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जातियों की पहचान और सूची तैयार करने का अधिकार देने वाले संविधान संशोधन विधेयक सहित 19 विधेयक पारित किए गये. सरकार ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद यह दूसरा मौका था जब इतनी संख्या में विधेयक पारित किए गए. सरकार का कहना है कि संसद में विधायी कामकाज निपटाने की यह उसकी ‘‘प्रतिबद्धता'' और ‘‘क्षमता'' को दर्शाता है.

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