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This Article is From Aug 10, 2018

राज्यसभा में तीन तलाक़ बिल अटका, अब सरकार अध्यादेश की तैयारी में

राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से आखिरकार राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सका तीन तलाक़ बिल

राज्यसभा में तीन तलाक़ बिल अटका, अब सरकार अध्यादेश की तैयारी में
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: तीन तलाक पर संशोधन बिल राज्यसभा में हंगामे और राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से आखिरकार पेश नहीं किया जा सका. अब सरकार इसे अगले सत्र में ही पेश कर पाएगी. इस बीच सरकार ने संकेत दिया है कि वह संशोधित तीन तलाक बिल को लागू करने के लिए अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है. 
  
"जब तक सरकार रफाल डील की JPC जांच पर रुख साफ नहीं करती और सदन में कार्यवाही रोककर चर्चा नहीं होती, कांग्रेस सदन नहीं चलने देगी", यह बात शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने से ठीक पहले सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने एनडीटीवी से कही. 

अगर कांग्रेस ने तीन तलाक बिल रोकने की रणनीति बनाई थी तो शुक्रवार को राज्यसभा में वह कामयाब रही. राजनीतिक सहमति न बन पाने के बाद राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि अब बिल शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा. सरकार ने आरोप लगाया कि बिल को कांग्रेस ने रोका है. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस ने दोहरा रुख अख्तियार किया है, लोकसभा में अलग और राज्यसभा में अलग. 

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कांग्रेस जब रफाल पर हंगामा कर रही थी तभी तृणमूल ने व्यवस्था का सवाल उठा दिया. याद दिलाया कि शुक्रवार को प्राइवेट मेंबर्स डे होता है. तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि शुक्रवार को प्राइवेट मेंबर्स डे के दिन सदन में बिल लाना राज्यसभा के नियम और परंपरा के खिलाफ है. 

सदन के बाहर कांग्रेस और तृणमूल दोनों ने साफ कर दिया कि वे तीन तलाक बिल पर सरकार के रुख से नाराज़ हैं. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, "सरकार जल्दबाज़ी में क्यों है? रात को कैबिनेट ने पास किया और अगले ही दिन राज्यसभा में लेकर आ गई?"  जबकि तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदू शेखर राय ने कहा, "हम मांग करते हैं कि तीन तलाक बिल राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए. 

VIDEO : शीतकालीन सत्र तक टला विधेयक

सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया. सरकार को पहले से ये अंदेशा था कि राज्यसभा में उसे बिल पर विपक्ष का विरोध झेलना पड़ेगा, इसलिए अब सरकार संशोधित बिल को लागू करने के लिए अध्यादेश लाकर लागू करने के विकल्प पर विचार कर रही है. अब देखना होगा कि इस विवादित और संवेदनशील बिल पर राजनीति आगे क्या करवट लेती है.

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