 
                                            सरकार ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन संबंधी फाइलें गायब हो जाने के मुद्दे पर संसद में होने वाली चर्चा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हस्तक्षेप कर सकते हैं।
                                            
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        सरकार ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन संबंधी फाइलें गायब हो जाने के मुद्दे पर संसद में होने वाली चर्चा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हस्तक्षेप कर सकते हैं।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कोयला मंत्रालय से फाइलें गायब होने के मुद्दे पर राज्यसभा में यह घोषणा उस समय की, जबकि मुख्य विपक्षी दल बीजेपी और अन्नाद्रमुक के सदस्य प्रश्नकाल में इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान की मांग कर रहे थे। उस समय प्रधानमंत्री सदन में उपस्थित थे।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेता और कई सदस्यों की मांग पर इस मुद्दे पर मंगलवार को कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बयान दिया था। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने स्पष्टीकरण मांगे और मंत्री ने स्पष्टीकरण भी दिए, लेकिन चर्चा बेनतीजा रही। हम इस चर्चा को पूरी करने के लिए तैयार हैं और अगर आवश्यक हुआ, तो प्रधानमंत्री भी हस्तक्षेप कर सकते हैं।
उन्होंने यह बात तब कही, जब विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि जायसवाल के बयान से विपक्ष संतुष्ट नहीं है और प्रधानमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री सदन में मौजूद हैं और उन्हें अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। प्रश्नकाल स्थगित करने के लिए अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन ने नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि सीबीआई निदेशक ने फाइलों के गायब होने को जांच के लिए गंभीर झटका बताया है।
इस बीच, संसद का मॉनसून सत्र अब 5 सितंबर तक चलेगा। मॉनसून सत्र की निर्धारित संक्षिप्त अवधि के दौरान कई अहम बिलों को पास कराया जाना था, लेकिन लगातार होते हंगामों की वजह से वे अब भी लंबित है। इसी वजह से सत्र को आगे बढ़ाया गया है।
वहीं, कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ीं फाइलों के गुम हो जाने को लेकर आज भी हंगामा जारी रहा और दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित हुई।
उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक खाद्य सुरक्षा बिल को आज फिर संसद में बहस के लिए पेश करने की तैयारी में थी। सरकार बहस के लिए इस बिल को मंगलवार को लोकसभा में लेकर आई थी, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते बहस नहीं हो सकी थी।
इधर, खाद्य सुरक्षा बिल में कुछ संशोधन की मांग को सरकार ने मान लिया है और सरकार इसके मसौदे में बदलाव को तैयार है। एनडीटीवी को मिले दस्तावेजों के मुताबिक विपक्ष के दबाव के बाद सरकार बिल में 10 संशोधन के लिए तैयार हो गई है। नए बिल में अब खाद्य सामग्री के बदले नकदी देने का प्रावधान नहीं रहेगा।
सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि गरीबों के लिए फिलहाल राशन का तय कोटा और नहीं बढेगा। इसके अलावा राज्यों को छह महीने की जगह एक साल का वक्त देने पर भी सहमति बन चुकी है। नए बिल में अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों के कोटे में कटौती नहीं करने और आंगनबाड़ी से ठेकेदारों को बाहर रखने के नियमों को भी मान लिया गया है। इस बिल पर विपक्ष ने 250 से ज्यादा संशोधन सुझाए, जिनमें सबसे अहम बेघरों के लिए सामुदायिक रसोई योजना है, जिसे इस बिल में जगह नहीं मिली है।
(इनपुट भाषा से भी)
                                                                        
                                    
                                संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कोयला मंत्रालय से फाइलें गायब होने के मुद्दे पर राज्यसभा में यह घोषणा उस समय की, जबकि मुख्य विपक्षी दल बीजेपी और अन्नाद्रमुक के सदस्य प्रश्नकाल में इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान की मांग कर रहे थे। उस समय प्रधानमंत्री सदन में उपस्थित थे।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेता और कई सदस्यों की मांग पर इस मुद्दे पर मंगलवार को कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बयान दिया था। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने स्पष्टीकरण मांगे और मंत्री ने स्पष्टीकरण भी दिए, लेकिन चर्चा बेनतीजा रही। हम इस चर्चा को पूरी करने के लिए तैयार हैं और अगर आवश्यक हुआ, तो प्रधानमंत्री भी हस्तक्षेप कर सकते हैं।
उन्होंने यह बात तब कही, जब विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि जायसवाल के बयान से विपक्ष संतुष्ट नहीं है और प्रधानमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री सदन में मौजूद हैं और उन्हें अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। प्रश्नकाल स्थगित करने के लिए अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन ने नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि सीबीआई निदेशक ने फाइलों के गायब होने को जांच के लिए गंभीर झटका बताया है।
इस बीच, संसद का मॉनसून सत्र अब 5 सितंबर तक चलेगा। मॉनसून सत्र की निर्धारित संक्षिप्त अवधि के दौरान कई अहम बिलों को पास कराया जाना था, लेकिन लगातार होते हंगामों की वजह से वे अब भी लंबित है। इसी वजह से सत्र को आगे बढ़ाया गया है।
वहीं, कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ीं फाइलों के गुम हो जाने को लेकर आज भी हंगामा जारी रहा और दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित हुई।
उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक खाद्य सुरक्षा बिल को आज फिर संसद में बहस के लिए पेश करने की तैयारी में थी। सरकार बहस के लिए इस बिल को मंगलवार को लोकसभा में लेकर आई थी, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते बहस नहीं हो सकी थी।
इधर, खाद्य सुरक्षा बिल में कुछ संशोधन की मांग को सरकार ने मान लिया है और सरकार इसके मसौदे में बदलाव को तैयार है। एनडीटीवी को मिले दस्तावेजों के मुताबिक विपक्ष के दबाव के बाद सरकार बिल में 10 संशोधन के लिए तैयार हो गई है। नए बिल में अब खाद्य सामग्री के बदले नकदी देने का प्रावधान नहीं रहेगा।
सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि गरीबों के लिए फिलहाल राशन का तय कोटा और नहीं बढेगा। इसके अलावा राज्यों को छह महीने की जगह एक साल का वक्त देने पर भी सहमति बन चुकी है। नए बिल में अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों के कोटे में कटौती नहीं करने और आंगनबाड़ी से ठेकेदारों को बाहर रखने के नियमों को भी मान लिया गया है। इस बिल पर विपक्ष ने 250 से ज्यादा संशोधन सुझाए, जिनमें सबसे अहम बेघरों के लिए सामुदायिक रसोई योजना है, जिसे इस बिल में जगह नहीं मिली है।
(इनपुट भाषा से भी)
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                                        खाद्य सुरक्षा बिल, फूड सिक्योरिटी बिल, संसद सत्र, कोयला, मॉनसून सत्र, Food Security Bill, Parliament, Monsoon Session
                            
                        