लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से पहले मोदी सरकार (Modi Govt) ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला है. मोदी सरकार ने आर्थिक तौर पर कमजोर सवर्णो (Quota For Economically Weak) को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फ़ैसला किया है. इसके लिए सरकार ने आज लोकसभा (Loksabha) में संविधान संशोधन बिल पेश किया. गरीब सवर्णों के लिए 10 फ़ीसदी का यह आरक्षण 50 फ़ीसदी की सीमा से अलग होगा. मोदी सरकार के इस फैसले का बसपा प्रमुख मायावती (Mayawti) ने स्वागत करते हुए इसे चुनावी स्टंट बताया है. मायावती की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश में गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की सुविधा देने की बसपा की वर्षों से लंबित मांग को आधे अधूरे मन और अपरिपक्व तरीके से स्वीकार किये जाने के बावजूद वह इसका स्वागत करती हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार यह फैसला पहले करती तो बेहतर होता.
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बसपा प्रमुख ने कहा 'लोकसभा चुनाव से पहले लिया गया यह फैसला हमें सही नीयत से लिया गया फैसला नहीं, बल्कि चुनावी स्टंट लगता है, राजनीतिक छलावा लगता है.' उन्होंने कहा कि अगर भाजपा अपना कार्यकाल ख़त्म होने से ठीक पहले नहीं बल्कि और पहले यह फैसला करती तो अच्छा होता. बता दें कि सामान्य वर्ग के ग़रीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को सोमवार को मंत्रिमंडल की मंज़ूरी मिलने के बाद इसे अमल में लाने के लिए सरकार ने मंगलवार को संविधान संशोधन विधेयक लोक सभा में पेश कर दिया.
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मायावती ने अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों को मिल रहे आरक्षण की पुरानी व्यवस्था की समीक्षा की जरूरत पर भी बल देते हुए कहा कि इन वर्गों की बढ़ी हुई आबादी के हिसाब से इन्हें समुचित आरक्षण देने की सख्त जरूरत है.
आर्थिक आधार पर आरक्षण संविधान के मुताबिक नहीं : असदुद्दीन ओवैसी
(इनपुट: भाषा)
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