पीएम मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार देश के किसानों को बड़ी सौगात देने की तैयारी में है. ख़रीफ़ फ़सलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को डेढ़ गुना करने पर आज केंद्र सरकार मुहर लगा सकती है, जिसके बाद किसानों को उनकी लागत का 50% ज़्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा.
अब किसी फ़सल की पैदावार लागत में सभी खर्चे शामिल होंगे- जैसे बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरी, मशीन आदि. उसके आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाएगा. हालांकि किसान की लागत में ज़मीन की क़ीमत शामिल नहीं होगी, जिसकी सिफ़ारिश स्वामीनाथन आयोग ने की थी.
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए नया फार्मूला बनेगा
केंद्र सरकार बुधवार को खरीफ फसलों के न्यूनतन समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना करने पर मुहर लगा सकती है. विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसा होने से घर के बजट में इजाफा हो सकता है, यानी महंगाई बढ़ सकती है, जबकि फसलों का मूल्य 20 फीसदी तक गिरने पर सरकार को एमएसपी मुहैया कराने के लिए सवा लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ सकता है.
देश के किसानों को बड़ी राहत देने के सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए आर्थिक विशेषज्ञ अतुल सिंह ने कहा कि जाहिर है कि अनाज और दालों के दाम जब डेढ़ गुना होंगे, तो महंगाई में इजाफा होगा ही. इसका असर होटल, रेस्तरां और ढाबों की थाली पर भी पड़ेगा. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह जरूरी है, क्योंकि मौजूदा मुद्रास्फीति की तुलना में कृषि उत्पादन की वृद्धि काफी कम है. ऐसे में एमएसपी डेढ़ गुना किए जाने पर देश के अन्नदाता को वाकई में राहत मिलेगी.
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वहीं, नीति आयोग के सदस्य और कृषि मामलों के विशेषज्ञ रमेश चंद ने कहा कि डेढ़ गुना एमएसपी किए जाने से महंगाई पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. इसका कारण अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि उत्पादन दरें बहुत ही कम हैं. वैश्विक स्तर पर तुलना करें, तो हमारे देश का किसान वाकई में कीमत के मामले में हाशिए पर है और इसमें सुधार बहुत जरूरी है.
मिलेगी उपज की उचित कीमत
कृषि मामलों के विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र शर्मा ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि जब थोक कीमतों में बढ़ोतरी होगी, तो उसका असर खुदरा बाजार में ज्यादा होगा. ऐसे में आम आदमी के लिए रसोई का खर्च जरूर बढ़ जाएगा, लेकिन दूसरी तरफ अन्नदाता को इससे राहत मिलेगी. अगर बाजार मूल्य एमएसपी से कम रहता है, तो सरकार उन्हें शेष राशि मुहैया कराएगी. ऐसे में हर सूरत में उन्हें उपज का उचित दाम मिल पाएगा.
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जानकारों की मानें तो सरकार के इस फ़ैसले से घर के बजट में इज़ाफ़ा हो सकता है, यानी महंगाई बढ़ सकती है. इसका असर होटल, रेस्तरां और ढाबों की थाली पर पड़ सकता है. जबकि सरकार पर सवा लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ सकता है.
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अब किसी फ़सल की पैदावार लागत में सभी खर्चे शामिल होंगे- जैसे बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरी, मशीन आदि. उसके आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाएगा. हालांकि किसान की लागत में ज़मीन की क़ीमत शामिल नहीं होगी, जिसकी सिफ़ारिश स्वामीनाथन आयोग ने की थी.
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए नया फार्मूला बनेगा
केंद्र सरकार बुधवार को खरीफ फसलों के न्यूनतन समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना करने पर मुहर लगा सकती है. विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसा होने से घर के बजट में इजाफा हो सकता है, यानी महंगाई बढ़ सकती है, जबकि फसलों का मूल्य 20 फीसदी तक गिरने पर सरकार को एमएसपी मुहैया कराने के लिए सवा लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ सकता है.
देश के किसानों को बड़ी राहत देने के सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए आर्थिक विशेषज्ञ अतुल सिंह ने कहा कि जाहिर है कि अनाज और दालों के दाम जब डेढ़ गुना होंगे, तो महंगाई में इजाफा होगा ही. इसका असर होटल, रेस्तरां और ढाबों की थाली पर भी पड़ेगा. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह जरूरी है, क्योंकि मौजूदा मुद्रास्फीति की तुलना में कृषि उत्पादन की वृद्धि काफी कम है. ऐसे में एमएसपी डेढ़ गुना किए जाने पर देश के अन्नदाता को वाकई में राहत मिलेगी.
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वहीं, नीति आयोग के सदस्य और कृषि मामलों के विशेषज्ञ रमेश चंद ने कहा कि डेढ़ गुना एमएसपी किए जाने से महंगाई पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. इसका कारण अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि उत्पादन दरें बहुत ही कम हैं. वैश्विक स्तर पर तुलना करें, तो हमारे देश का किसान वाकई में कीमत के मामले में हाशिए पर है और इसमें सुधार बहुत जरूरी है.
मिलेगी उपज की उचित कीमत
कृषि मामलों के विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र शर्मा ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि जब थोक कीमतों में बढ़ोतरी होगी, तो उसका असर खुदरा बाजार में ज्यादा होगा. ऐसे में आम आदमी के लिए रसोई का खर्च जरूर बढ़ जाएगा, लेकिन दूसरी तरफ अन्नदाता को इससे राहत मिलेगी. अगर बाजार मूल्य एमएसपी से कम रहता है, तो सरकार उन्हें शेष राशि मुहैया कराएगी. ऐसे में हर सूरत में उन्हें उपज का उचित दाम मिल पाएगा.
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जानकारों की मानें तो सरकार के इस फ़ैसले से घर के बजट में इज़ाफ़ा हो सकता है, यानी महंगाई बढ़ सकती है. इसका असर होटल, रेस्तरां और ढाबों की थाली पर पड़ सकता है. जबकि सरकार पर सवा लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ सकता है.
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