जाकिर नाइक की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक के खिलाफ जल्द ही कठोर आतंकवाद निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है, क्योंकि समझा जाता है कि उनके बारे में मिली कानूनी राय में उनके और उनके गैर सरकारी संगठन 'इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन' (आईआरएफ) के खिलाफ कार्रवाई करने का सुझाव दिया गया है.
सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने नाईक के कथित घृणा फैलाने वाले भाषणों सहित उसकी विवादित गतिविधियों के लिए उनके खिलाफ संभावित कार्रवाई के बारे में कानूनी राय मांगी थी. समझा जाता है कि गृह मंत्रालय को कानूनी राय मिल गई है, जिसमें कहा गया है कि विभिन्न मंचों से दिए गए नाईक के भाषणों से विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच कथित तौर पर वैमनस्य तथा घृणा को बढ़ावा और आतंकवाद को उकसावा तथा बढावा मिला.
कानूनी राय को उद्धृत करते हुए सूत्रों ने बताया कि नाईक द्वारा विभिन्न अवसरों पर दिए गए कथित घृणा फैलाने वाले संबोधनों के लिए उसके खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए. कानूनी परामर्श में कहा गया है कि नाईक का इरादा विभिन्न धार्मिक समूहों के खिलाफ जानबूझकर वैमनस्य बढ़ाने का रहा है. साथ ही कानूनी राय में यह भी कहा गया है कि नाईक के अलावा उनके गैर सरकारी संगठन आईआरएफ के खिलाफ भी मामले दर्ज किए जाने चाहिए, जो कि कट्टरपंथी गतिविधियों का कथित तौर पर फंडिंग करता है.
नाईक तब सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गए थे, जब बांग्लादेश के अखबार 'डेली स्टार' ने खबर प्रकाशित की थी कि 1 जुलाई को ढाका में हुए आतंकी हमले के हमलावरों में से एक रोहन इम्तियाज ने पिछले साल नाईक को उद्धृत करते हुए फेसबुक पर दुष्प्रचार अभियान चलाया था. नाईक ने एक अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक चैनल 'पीस टीवी' पर दिए गए अपने संबोधन में कथित तौर पर सभी मुसलमानों से आतंकवादी बनने का आह्वान किया था.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने नाईक के कथित घृणा फैलाने वाले भाषणों सहित उसकी विवादित गतिविधियों के लिए उनके खिलाफ संभावित कार्रवाई के बारे में कानूनी राय मांगी थी. समझा जाता है कि गृह मंत्रालय को कानूनी राय मिल गई है, जिसमें कहा गया है कि विभिन्न मंचों से दिए गए नाईक के भाषणों से विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच कथित तौर पर वैमनस्य तथा घृणा को बढ़ावा और आतंकवाद को उकसावा तथा बढावा मिला.
कानूनी राय को उद्धृत करते हुए सूत्रों ने बताया कि नाईक द्वारा विभिन्न अवसरों पर दिए गए कथित घृणा फैलाने वाले संबोधनों के लिए उसके खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए. कानूनी परामर्श में कहा गया है कि नाईक का इरादा विभिन्न धार्मिक समूहों के खिलाफ जानबूझकर वैमनस्य बढ़ाने का रहा है. साथ ही कानूनी राय में यह भी कहा गया है कि नाईक के अलावा उनके गैर सरकारी संगठन आईआरएफ के खिलाफ भी मामले दर्ज किए जाने चाहिए, जो कि कट्टरपंथी गतिविधियों का कथित तौर पर फंडिंग करता है.
नाईक तब सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गए थे, जब बांग्लादेश के अखबार 'डेली स्टार' ने खबर प्रकाशित की थी कि 1 जुलाई को ढाका में हुए आतंकी हमले के हमलावरों में से एक रोहन इम्तियाज ने पिछले साल नाईक को उद्धृत करते हुए फेसबुक पर दुष्प्रचार अभियान चलाया था. नाईक ने एक अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक चैनल 'पीस टीवी' पर दिए गए अपने संबोधन में कथित तौर पर सभी मुसलमानों से आतंकवादी बनने का आह्वान किया था.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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