सुप्रीम कोर्ट में आज कोरोनावायरस को लेकर उठाए जा रहे कदमों की लेकर दी गई याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के पलायन का भी मुद्दा उठाया. इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील तुषार मेहता ने कहा कि वह केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से उठाए गए कदमों पर सुप्रीम कोर्ट में हलफानामा देना चाहते हैं. वहीं प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि हर चीज से निपट लिया जाएगा लेकिन इससे पहले जानना यह जरूरी है कि सरकार क्या रही है. इसके लिए हम पहले केंद्र की ओर से पेश किए जाने वाले हलफनामा को देखना चाहते हैं और मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी है.
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल में कमी है. उत्तर प्रदेश ने दो दिन पहले लोगों को ले जाने के लिए बसें दीं फिर रोक दिया. इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम उन चीजों से निपटना नहीं चाहते जिन्हें सरकार पहले से ही संभाल रही है. केंद्र से रिपोर्ट का इंतजार करें. हम यह नोटिस कर रहे हैं कि आपकी याचिका में कुछ प्रार्थनाएं हैं जो पहले से ही सरकार द्वारा ध्यान में रखी गई हैं. जस्टि बोबडे ने कहा कि शहरी क्षेत्रों से पलायन करने की कोशिश करने वाले हजारों लोगों के बारे में उठाए जा रहे कदमों पर जवाब देने के लिए केंद्र को समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह डर और दहशत इस वायरस से भी बड़ी समस्या है.
दरअसल एक अन्य याचिकाकर्ता रश्मि बंसल ने कहा कि पलायन कर रहे लोगों की काउंसलिंग करने के लिए काउंसलर हो सकते हैं क्योंकि ये लोग घबराहट के कारण भागने की कोशिश कर रहे हैं. सेनेटाइज, चिकित्सा और भोजन की व्यवस्था हो.
इस पर कोर्ट ने कहा कि केंद्र के हलफनामा का इंतजार करें. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से प्रवासी मजदूरों को लेकर उठाए जाने वाले कदमों पर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी. केंद्र ने कहा हमारा जवाब तैयार है हम कल अपना जवाब दाखिल कर देंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब मंगलवार को ही सुनवाई करने का फैसला किया. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम पहले से ही उन चीजों पर आदेश जारी करके चीजों को जटिल नहीं करना चाहते.
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