
जवाहरबाग में हुई हिंसा में दो पुलिस अधिकारियों सहित 24 लोगों की मौत हो गई थी (फाइल फोटो)
- मथुरा के जवाहर बाग पर एक संगठन ने अवैध कब्जा कर रखा था
- जवाहर बाग हिंसा में सिटी एसपी और थाना प्रभारी सहित 24 लोगों की मौत हो गई
- पुलिस पर हमले के पीछे राजनीतिक संरक्षण के आरोपों से सीएम ने इनकार किया
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केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भेजी रिपोर्ट में अखिलेश यादव सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि अतिक्रमणकारियों को कोई राजनीतिक संरक्षण प्राप्त नहीं था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें पुलिस खुद मान रही है कि बिना किसी तैयारी के (अतिक्रमणकारियों के खिलाफ) कार्रवाई की गई, जिस कारण उन्हें नुकसान झेलना पड़ा। हम इस बात का आकलन नहीं कर सके कि अंदर कितने लोग हैं, इसलिए पुलिस की लापरवाही तो साफ़ है।'
सीबीआई जांच पर हो रहा है विचार
वैसे जवाहर बाग में अतिक्रमणकारियों के खिलाफ पिछले हफ्ते की पुलिस कार्रवाई के दौरान हुई हिंसा को केंद्र सरकार सीधे राज्य सरकार की नाकामी बता रही है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस मामले में सीधे शिवपाल सिंह यादव से इस्तीफा मांग चुके हैं। इस मामले में सरकार अब सीबीआई जांच का मन बना रही है। उधर, बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
जवाहर बाग की घटना लेकर उठ रहे हैं कई सवाल
इस बीच, जवाहर बाग की घटना को लेकर कई सवाल उठाए रहे हैं, जैसे क्या यह बस स्थानीय पुलिस के अंदाजे की चूक है या फिर उसे तैयारी से पहले ही कार्रवाई के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा इन अतिक्रमणकारियों के पास इतनी भारी मात्रा में असलाह-बारूद की मौजूदगी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों में इस समूह का नक्सिलयों के साथ संबंध की ओर इशारा किया गया है, तो विपक्षी दल इसमें राजनीतिक संरक्षण का आरोप लगा रहे हैं।
मथुरा के डीएम और एसएसपी का तबादला
इस बीच राज्य सरकार ने मथुरा के जिलाधिकारी राजेश कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राकेश सिंह को हटा दिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक ट्वीट में कहा है कि मथुरा के नए डीएम निखिल शुक्ला और नए एसएसपी बबलू कुमार होंगे।
मथुरा के जवाहर बाग में हुई हिंसा में डीएम और एसएसपी के बीच आपसी तालमेल न हो पाने की बात सामने आई थी, जिसके कारण सरकार ने यह कदम उठाया है। मथुरा में घटी इस घटना के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस घटना के बाद डीएम और एसपी दोनों पर गाज गिर सकती है।
गौरतलब है कि मथुरा के जवाहरबाग में गुरुवार को हुई हिंसा में 24 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इसमें दो पुलिस अधिकारी भी शहीद हो गए थे। इस कांड का मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव भी पुलिस के साथ हुई गोलीबारी में मारा गया था। डीजीपी ने रविवार को ट्वीट कर उसकी मौत की पुष्टि की थी। इसके बाद अब उसके गांव वालों ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया है। इसके बाद मथुरा पुलिस ने रामवृक्ष यादव के साथ मारे गए 11 अन्य लोगों का सोमवार को अंतिम संस्कार कर दिया। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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