
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू की फाइल फोटो.
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धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू का बयान
समलैंगिक अधिकारों पर जोर देकर हटाया जा रहा समस्याओं से ध्यान
बोले-समलैंगिकता को अपराध न मानने का फैसला ठीक, इससे बड़ी समस्याएं भी हैं
क्या लिखा है काटजू ने
जस्टिस काटजू ने अंग्रेजी में फेसबुक पर पोस्ट लिखी है, जिसमें कहा है-सुप्रीम कोर्ट ने देश में गे संबंधों को वैध बना दिया है. इस प्रकार समलैंगिकता के समर्थकों में खुशी का माहौल है. मैं सहमत हूं कि समलैंगिंकता को अपराध नहीं माना जाना चाहिए.मेरा मानना है कि समलैंगिकों के अधिकारों पर यह अतिसंवेदनशील फैसला है. समलैंगिक अधिकार स्थापित करना ही देश की बड़ी समस्या नहीं है, बल्कि भारी गरीबी, बेरोजगारी, किसानों का संकट, कुपोषण, स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव और अच्छा शिक्षा जैसी चुनौतियों का हल ढूंढना बड़ी समस्या है. समलैंगिक अधिकारों पर अधिक जोर देना एक प्रकार से देश की प्रमुख समस्याओं से ध्यान भटकाने की रणनीति है. मुझे लगता है कि लोगों के चेहरे पर ठंडा पानी फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
इनकी याचिका पर आया फैसला
समलैंगिकता (Homosexuality) को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 (Section 377) की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि समलैंगिकता संबंध अपराध नहीं है. समलैंगिकता को अपराध करार देने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (Section 377) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चली सुनवाई के बाद फैसला 17 जुलाई को सुरक्षित रख लिया गया था. नवतेज सिंह जौहर, सुनील मेहरा, अमन नाथ, रितू डालमिया और आयशा कपूर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की मांग की थी. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं.
वीडियो-सुप्रीम कोर्ट ने कहा-समलैंगिकता नहीं है अपराध
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