मुंबई:
2006 के मालेगांव विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किए नौ मुसलमानों को आरोप मुक्त करने की अर्जी पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गुरुवार को कोई ऐतराज नहीं किया। एजेन्सी ने कहा कि उसे इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल सका है हालांकि आतंकवाद निरोधक दस्ते और केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने उनके अभियोजन की सिफारिश की थी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विशेष अदालत में अपने जवाब में कहा कि आगे की जांच में उसके द्वारा एकत्र किए गए सबूत आतंकवाद निरोधक दस्ते और सीबीआई के सबूतों के अनुरूप नहीं हैं। अदालत इस मामले में उपयुक्त आदेश जारी कर सकती है।
एजेंसी ने कहा कि आतंकवाद निरोधक दस्ते और सीबीआई द्वारा सौंपी गई आखिरी रिपोर्ट में निकाले गए निष्कर्ष के समर्थन में कोई सबूत नहीं पाया गया। इन सिफारिशों में नौ मुसलमानों के खिलाफ अभियोजन की सिफारिश की गई थी। इन्हें 8 सितंबर 2006 को हुए विस्फोटों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। इन विस्फोट में 37 लोग मारे गए थे।
गिरफ्तार लोगों ने मामले से आरोपमुक्त करने की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की थी जिसके बाद एनआईए ने इसमें अपना जवाब दाखिल किया।
एनआईए ने पाया कि ये विस्फोट हिंदू दक्षिणपंथी संगठन और गिरफ्तार किए गए लोकेश शर्मा, धन सिंह, मनोहर सिंह तथा राजेंद्र चौधरी की करतूत है। 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट के आरोपी स्वामी असीमानंद के इस सिलसिले में अपना इकबालिया बयान देने पर भगवा संगठन की भूमिका उजागर हुई।
एनआईए ने 22 मई को चार हिंदू कार्यकर्ताओं के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था और जांच में पाए गए ऐसे कई नतीजे गिनाए थे जो एटीएस और सीबीआई के निष्कर्षों के विरोधी थे।
मालेगांव में 2008 में एक अन्य आतंकवादी हमला हुआ। इसे कथित तौर पर दक्षिणपंथी हिंदू संगठन ने अंजाम दिया और इस सिलसिले में साध्वी प्रज्ञा सिंह तथा पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित गिरफ्तार किए गए।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विशेष अदालत में अपने जवाब में कहा कि आगे की जांच में उसके द्वारा एकत्र किए गए सबूत आतंकवाद निरोधक दस्ते और सीबीआई के सबूतों के अनुरूप नहीं हैं। अदालत इस मामले में उपयुक्त आदेश जारी कर सकती है।
एजेंसी ने कहा कि आतंकवाद निरोधक दस्ते और सीबीआई द्वारा सौंपी गई आखिरी रिपोर्ट में निकाले गए निष्कर्ष के समर्थन में कोई सबूत नहीं पाया गया। इन सिफारिशों में नौ मुसलमानों के खिलाफ अभियोजन की सिफारिश की गई थी। इन्हें 8 सितंबर 2006 को हुए विस्फोटों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। इन विस्फोट में 37 लोग मारे गए थे।
गिरफ्तार लोगों ने मामले से आरोपमुक्त करने की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की थी जिसके बाद एनआईए ने इसमें अपना जवाब दाखिल किया।
एनआईए ने पाया कि ये विस्फोट हिंदू दक्षिणपंथी संगठन और गिरफ्तार किए गए लोकेश शर्मा, धन सिंह, मनोहर सिंह तथा राजेंद्र चौधरी की करतूत है। 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट के आरोपी स्वामी असीमानंद के इस सिलसिले में अपना इकबालिया बयान देने पर भगवा संगठन की भूमिका उजागर हुई।
एनआईए ने 22 मई को चार हिंदू कार्यकर्ताओं के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था और जांच में पाए गए ऐसे कई नतीजे गिनाए थे जो एटीएस और सीबीआई के निष्कर्षों के विरोधी थे।
मालेगांव में 2008 में एक अन्य आतंकवादी हमला हुआ। इसे कथित तौर पर दक्षिणपंथी हिंदू संगठन ने अंजाम दिया और इस सिलसिले में साध्वी प्रज्ञा सिंह तथा पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित गिरफ्तार किए गए।
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