छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में 26 जवान शहीद हो गए हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में माओवादियों ने दो महीने में दूसरी बड़ी वारदात को अंजाम दिया है. पिछले महीने 11 मार्च को नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन को निशाना बनाया था जिसमें 12 जवान शहीद हो गए थे, और सोमवार को नक्सलियों ने सुकमा के चिंतागुफा इलाके में जवानों पर हमला किया है जिसमें 26 जवान शहीद हो गए हैं और 6 जवान लापता हैं. इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने अपने आवास में अधिकारियों की आपात बैठक भी बुलाई है. छत्तीसगढ़ के सुकमा, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कांकेर जिलों की गिनती देश के घोर नक्सल प्रभावित जिलों में होती है और यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में माओवादी हमले में इतना नुकसान हुआ हो. आइए डालते हैं छत्तीसगढ़ में हुए बड़े नक्सली हमलों पर एक नजर...
ताड़मेटला कांड
दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में 6 अप्रैल 2010 को हुआ यह हमला पैरामिलिट्री फोर्स पर हुआ देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला था. इस हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. इस दिन सीआरपीएफ के करीब 120 जवान सर्चिंग अभियान के लिए निकले थे, सर्चिंग से वापस लौटने के दौरान 1000 नक्सलियों ने एंबुश लगाकर जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी थी. इस हमले में आठ नक्सली भी मारे गए थे. इस हमले में नक्सलियों ने जवानों के हथियार और जूते भी लूट लिए थे.
झीरम घाटी हमला
25 मई 2013 के दिन नक्सलियों ने परिवर्तन यात्रा पर निकले कांग्रेस पार्टी पर हमला कर दिया था. नक्सलियों ने काफिले को रोकने के लिए सबसे पहले सड़क पर ब्लास्ट किया था, ब्लास्ट इतना जबरदस्त था कि सड़क पर करीब 10 फीट गहरा गड्ढा हो गया था. इसके बाद नक्सलियों ने काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी. इस हमले में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, तात्कालीन पीसीसी चीफ नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल समेत 30 से ज्यादा कांग्रेसी मारे गए थे. इस हमले में नक्सलियों के मुख्य टार्गेट महेंद्र कर्मा थे, कर्मा नक्सलियों के सफाए के लिए शुरू हुए सलवा जुडुम अभियान के नेता थे और वह लम्बे समय से नक्सलियों की हिट लिस्ट में भी शामिल थे. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक नक्सलियों ने कर्मा को मारने के बाद उनके शव के इर्द-गिर्द जश्न भी मनाया था.
झीरम 2
झीरम घाटी हमले के करीब एक साल बाद नक्सलियों ने 11 मार्च 2014 को उससे कुछ ही दूरी पर एक और हमला किया. इस हमले में 15 जवान शहीद हुए थे और एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हो गई थी. इस हमले के बाद नक्सलियों एक शहीद जवान के शव में आईईडी फिट करके छोड़ दिया था, ताकि जवान जब शव उठाने आएं तो ब्लास्ट हो जाए और जवानों को बड़ा नुकसान हो. हालांकि शव को उठाने से पहले बम डीएक्टिवेट कर दिया गया था और उसके बाद जवान को वहां से निकाला गया था.
बस्तर में दोहरा नक्सली हमला
झीरम 2 के ठीक एक महीने बाद लोकसभा चुनाव के दौरान 12 अप्रैल को बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में पांच जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में सात मतदान कर्मी भी शामिल थे. यह पहली बार था जब नक्सलियों ने एक एंबुलेंस को अपना निशाना बनाया था. इस एंबुलेंस में सीआरपीएफ के पांच जवानों समेत एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी.
ताड़मेटला कांड
दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में 6 अप्रैल 2010 को हुआ यह हमला पैरामिलिट्री फोर्स पर हुआ देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला था. इस हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. इस दिन सीआरपीएफ के करीब 120 जवान सर्चिंग अभियान के लिए निकले थे, सर्चिंग से वापस लौटने के दौरान 1000 नक्सलियों ने एंबुश लगाकर जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी थी. इस हमले में आठ नक्सली भी मारे गए थे. इस हमले में नक्सलियों ने जवानों के हथियार और जूते भी लूट लिए थे.
झीरम घाटी हमला
25 मई 2013 के दिन नक्सलियों ने परिवर्तन यात्रा पर निकले कांग्रेस पार्टी पर हमला कर दिया था. नक्सलियों ने काफिले को रोकने के लिए सबसे पहले सड़क पर ब्लास्ट किया था, ब्लास्ट इतना जबरदस्त था कि सड़क पर करीब 10 फीट गहरा गड्ढा हो गया था. इसके बाद नक्सलियों ने काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी. इस हमले में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, तात्कालीन पीसीसी चीफ नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल समेत 30 से ज्यादा कांग्रेसी मारे गए थे. इस हमले में नक्सलियों के मुख्य टार्गेट महेंद्र कर्मा थे, कर्मा नक्सलियों के सफाए के लिए शुरू हुए सलवा जुडुम अभियान के नेता थे और वह लम्बे समय से नक्सलियों की हिट लिस्ट में भी शामिल थे. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक नक्सलियों ने कर्मा को मारने के बाद उनके शव के इर्द-गिर्द जश्न भी मनाया था.
झीरम 2
झीरम घाटी हमले के करीब एक साल बाद नक्सलियों ने 11 मार्च 2014 को उससे कुछ ही दूरी पर एक और हमला किया. इस हमले में 15 जवान शहीद हुए थे और एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हो गई थी. इस हमले के बाद नक्सलियों एक शहीद जवान के शव में आईईडी फिट करके छोड़ दिया था, ताकि जवान जब शव उठाने आएं तो ब्लास्ट हो जाए और जवानों को बड़ा नुकसान हो. हालांकि शव को उठाने से पहले बम डीएक्टिवेट कर दिया गया था और उसके बाद जवान को वहां से निकाला गया था.
बस्तर में दोहरा नक्सली हमला
झीरम 2 के ठीक एक महीने बाद लोकसभा चुनाव के दौरान 12 अप्रैल को बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में पांच जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में सात मतदान कर्मी भी शामिल थे. यह पहली बार था जब नक्सलियों ने एक एंबुलेंस को अपना निशाना बनाया था. इस एंबुलेंस में सीआरपीएफ के पांच जवानों समेत एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी.
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