यह ख़बर 26 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

अभिनेता संजय दत्त को बार-बार छुट्टी दिए जाने की जांच कराएगी महाराष्ट्र सरकार

मुंबई:

अभिनेता संजय दत्त की फरलौ की छुट्टी पर बवाल पैदा हो गया है। संजय दत्त को मिली छुट्टी पर 1992 के बम धमाकों की आरोपी जैबुन्निसा के वकील ने सवाल उठाए हैं, जिसके बाद अभिनेता संजय दत्त की फरलौ की छुट्टी की जांच के आदेश महाराष्ट्र के गह विभाग ने दिए हैं।

पुणे की येरवड़ा जेल से 14 दिन की फरलौ की छुट्टियां लेकर संजय दत्त 24 दिसंबर 2014 को घर आ चुके हैं। छुट्टी पर घर पहुंचने के दूसरे ही दिन संजय ने अपने परिवार और दोस्तों के साथ पीके फिल्म देखी। संजय ने इस फिल्म में मेहमान भूमिका निभाई है।

संजय की फरलौ पर सवालिया निशान लगाते हुए आरोपी जैबुन्निसा के वकील एज़ाज नक्वी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'संजय दत्त को बार बार ऐसी छुट्टी मिलती है। जबकी ऐसा बाकी कैदीयों के साथ नहीं होता। जैब्बुनिसा को यूटरस का कैन्सर होने के बावजूद कभी फरलौ नहीं मिला। जगज़ाहिर है की सभी सरकारें दत्त परिवार पर मेहरबान हैं।'

मुंबई में 12 मार्च 1992 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में संजय दत्त को कारावास की सज़ा हुई है। आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाए जाने के बाद संजय दत्त को 5 साल के लिए जेल भेजा गया। इसमें से डेढ साल की सज़ा वे पहले ही काट चुके थे।
सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद ख़त्म होने के बाद संजय ने 14 मई 2013 को खुद को कोर्ट के हवाले किया, जिसके बाद उन्हे पहले मुंबई के आर्थर रोड़ जेल में कुछ दिन रखने के बाद पुणे के येरवड़ा जेल में भेजा गया। गिरफ़्तारी के बाद से अब तक संजय दत्त तीन बार जेल से छुट्टी लेकर घर आ चुके हैं।

कानूनन हर कैदी को सालाना 29 दिन की छुट्टियां मिलती हैं। कैदी डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट के अधिकार से ही यह छुट्टी पा सकता है।

उधर, दत्त परिवार पर मेहरबान होने के आरोपों से परेशान राज्य के गृह राज्यमंत्री राम शिंदे ने आनन-फानन में मामले के जांच के आदेश दिए हैं। शिंदे ने एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए कहा की, 'छुट्टियों को लेकर कैदीयों से भेदभाव नहीं हो सकता। अगर ऐसा हुआ है तो सरकार दोषियों पर कार्रवाई करेगी। यह भी जांच होगी की, संजय दत्त को बार बार छुट्टी कैसे मिल रही है।'

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वैसे, इस से पहले भी फरवरी 2014 में संजय दत्त की छुट्टी पर बीजेपी के नेताओं ने आपत्ति उठायी थी, जिसके बाद तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मामले की जांच के आदेश दिए थी, जिस जांच रिपोर्ट को अबतक सार्वजनिक नहीं किया गया है।