मराठा समुदाय (Maratha community) को आरक्षण के मामले में महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. मराठा आरक्षण (Reservation) पर लगी रोक हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दाखिल की है. याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा आरक्षण पर लगाई गई अंतरिम रोक हटाई जाए. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर रोक लगाते हुए मामले को सुनवाई के लिए बड़ी पीठ के समक्ष भेज दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर के अपने एक अंतरिम आदेश में कहा है कि साल 2020-2021 में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमीशन के दौरान मराठा आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. तीन जजों की बेंच ने इस मामले को विचार के लिए एक बड़ी बेंच के पास भेजा है. कोर्ट ने कहा कि यह बेंच मराठा आरक्षण की वैधता पर विचार करेगी.
बता दें कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) अधिनियम, 2018 को नौकरियों और एडमीशनों के लिए महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए लागू किया गया था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल जून में कानून को बरकरार रखते हुए कहा कि 16 प्रतिशत आरक्षण उचित नहीं है. उसने कहा कि रोजगार में आरक्षण 12 प्रतिशत और एडमीशन में 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. बाद में कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
अब उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से अगस्त में अदालत को जानकारी दी गई थी कि कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार ने पहले ही 15 सितंबर तक नई भर्तियां न करने का फैसला किया है.
महाराष्ट्र सरकार ने 30 नवंबर 2018 को विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास किया था. इसके तहत मराठी लोगों को राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. राज्य सरकार के इस फैसले की वैधता के खिलाफ बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराया था.
VIDEO: आरक्षण के समर्थन में मराठा समाज का प्रदर्शन
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