सीएम देवेंद्र फडणवीस का फाइल फोटो...
मुंबई:
अमूमन राहत फंड में दान देकर खुद की छवि चमकाने वालों के किस्से आम हैं। लेकिन, महाराष्ट्र में ऐसा करने वालों का उल्टा मामला सामने आया है। महाराष्ट्र के बोगस दानवीरों ने मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के साथ ही मज़ाक किया है।
राज्य में सूखे से निबटने के लिए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने जलयुक्त शिवार योजना का ऐलान किया। इस योजना के तहत जलस्त्रोत गहरे करने के काम को प्राथमिकता दी गई। राज्य सरकार ने इस काम के लिए 1 हजार करोड़ का फंड निश्चित किया। इसी के साथ जनता ने भी इस काम के लिए राज्य सरकार को भरभर कर मदद की।
लेकिन, अब यह खुलासा हुआ है की इस योजना के नाम पर दान में दी गई रकम के 102 चेक बाउंस हो चुके हैं। राज्य सरकार के रिलीफ फंड का समन्वय करते विभाग के सूत्रों से मिली सूचना ऐसे 32 बोगस दानवीरों का नाम उजागर कर रही है। इससे सरकार को मिलने वाले पौने चौदह लाख रुपए लौट गए हैं, जिसका इस्तेमाल सूखा राहत के काम मे हो सकता था।
इनमें से ज्यादातर के चेक खाते में पर्याप्त राशि न होने के चलते बाउंस हुए हैं। इसी में एक चेक नार्थ पीपल प्राइड संस्था का है। लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र बीजेपी में शामिल हुए बुलियन ट्रेडर मोहित कंबोज नार्थ पीपल प्राइड इस संस्था के सदस्य बताए जाते हैं। कंबोज ने बीजेपी की टिकट पर 2014 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था, जिसमें वे शिवसेना के उम्मीदवार से मात खा गए। सूची में उनका नाम संस्था के नाम के साथ अव्वल स्थान पर सामने आया है। इस संस्था के 1 लाख 11 हजार 111रुपये का चेक बाउंस होने पर खुलासा करते हुए कंबोज ने मामले से खुद को अलग कर लिया। NDTV इंडिया से मुम्बई में अपने दफ़्तर में बात करते हुए कहा कि संस्था के चेक बाउंस होने को लेकर उनके पास कोई जानकारी नहीं है। न ही वह चेक उन्होंने दिया था।
दूसरी तरफ़, बोगस दानवीरों के इस कारनामे पर RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सवाल उठाए हैं। गलगली ने ही यह सूचना सार्वजनिक की थी कि कैसे मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने साल भर में CM रिलीफ फंड में 254 करोड़ रुपये का दान पाकर एक रिकॉर्ड कायम किया था। जबकि उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री इस रिलीफ फंड में महज 11 करोड़ रुपये छोड़ गए थे। गलगली ने NDTV इंडिया से बात करते हुए मामले में कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि 'चेक बाउंस होना दंडनीय अपराध है। सूखा राहत के काम के लिए दिए चेक का बाउंस होने का मतलब है कि आप ईमानदार नहीं हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ़ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।'
राज्य में सूखे से निबटने के लिए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने जलयुक्त शिवार योजना का ऐलान किया। इस योजना के तहत जलस्त्रोत गहरे करने के काम को प्राथमिकता दी गई। राज्य सरकार ने इस काम के लिए 1 हजार करोड़ का फंड निश्चित किया। इसी के साथ जनता ने भी इस काम के लिए राज्य सरकार को भरभर कर मदद की।
लेकिन, अब यह खुलासा हुआ है की इस योजना के नाम पर दान में दी गई रकम के 102 चेक बाउंस हो चुके हैं। राज्य सरकार के रिलीफ फंड का समन्वय करते विभाग के सूत्रों से मिली सूचना ऐसे 32 बोगस दानवीरों का नाम उजागर कर रही है। इससे सरकार को मिलने वाले पौने चौदह लाख रुपए लौट गए हैं, जिसका इस्तेमाल सूखा राहत के काम मे हो सकता था।
इनमें से ज्यादातर के चेक खाते में पर्याप्त राशि न होने के चलते बाउंस हुए हैं। इसी में एक चेक नार्थ पीपल प्राइड संस्था का है। लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र बीजेपी में शामिल हुए बुलियन ट्रेडर मोहित कंबोज नार्थ पीपल प्राइड इस संस्था के सदस्य बताए जाते हैं। कंबोज ने बीजेपी की टिकट पर 2014 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था, जिसमें वे शिवसेना के उम्मीदवार से मात खा गए। सूची में उनका नाम संस्था के नाम के साथ अव्वल स्थान पर सामने आया है। इस संस्था के 1 लाख 11 हजार 111रुपये का चेक बाउंस होने पर खुलासा करते हुए कंबोज ने मामले से खुद को अलग कर लिया। NDTV इंडिया से मुम्बई में अपने दफ़्तर में बात करते हुए कहा कि संस्था के चेक बाउंस होने को लेकर उनके पास कोई जानकारी नहीं है। न ही वह चेक उन्होंने दिया था।
दूसरी तरफ़, बोगस दानवीरों के इस कारनामे पर RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सवाल उठाए हैं। गलगली ने ही यह सूचना सार्वजनिक की थी कि कैसे मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने साल भर में CM रिलीफ फंड में 254 करोड़ रुपये का दान पाकर एक रिकॉर्ड कायम किया था। जबकि उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री इस रिलीफ फंड में महज 11 करोड़ रुपये छोड़ गए थे। गलगली ने NDTV इंडिया से बात करते हुए मामले में कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि 'चेक बाउंस होना दंडनीय अपराध है। सूखा राहत के काम के लिए दिए चेक का बाउंस होने का मतलब है कि आप ईमानदार नहीं हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ़ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।'
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