मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में नई शिक्षा नीति के खिलाफ एनएसयूआई के हजारों छात्र पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में सड़क पर उतरे आए. इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच भिड़ंत भी देखने को मिली. राज्य के कई ज़िलों से आए ये छात्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास का घेराव करने बढ़ रहे थे. एनएसयूआई का दावा था कि राज्य के सभी 52 जिलों के छात्र विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, जिसमें एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन भी शामिल थे. पीसीसी प्रमुख कमलनाथ, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, लखन घनघोरिया, विधायक कुणाल चौधरी, विपिन वानखेड़े और पार्टी के युवा नेता विवेक त्रिपाठी भी इस प्रदर्शन में शामिल थे. छात्रों का कहना था कि अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. इसके अलावा उन्होंने राज्य में लागू की जा रही नई शिक्षा नीति में अन्य खामियों की ओर भी इशारा किया.
हालांकि प्रदर्शन के लिये पुलिस से अनुमति नहीं ली गई थी. दोपहर 1 बजे के आसपास भोपाल के लिंक रोड -1 स्थित कांग्रेस कार्यालय में छात्र एकत्र हुए, जहां से वे 5 किमी की दूरी पर श्यामला हिल्स स्थित मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पार्टी कार्यालय के बाहर रोक दिया. पहले बैरिकेड्स पर उन्हें रोकने में असमर्थ पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज किया.
यूथ कांग्रेस मीडिया सेल के अध्यक्ष विवेक त्रिपाठी ने कहा, "हमने एक राष्ट्रव्यापी अभियान 'शिक्षा बचाओ, भारत बचाओ' शुरू किया है. एससी-एसटी, ओबीसी श्रेणी के बच्चों की छात्रवृत्ति अनियमित है. कॉलेज प्रशासन उनपर फीस का दबाव बनाता है. ऐसी स्थिति में गरीब बच्चों को भुगतना पड़ा रहा है. राज्य में शिक्षा माफिया हावी हैं, फर्जी डिग्री बांट रहे हैं, सारे छात्र मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे लेकिन मुख्यमंत्री मिलने नहीं आए. उल्टा छात्रों के ऊपर लाठी चार्ज किया गया. पुलिस उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर रही है, कई छात्र घायल हुए हैं, अस्पताल में भर्ती हैं."
शिक्षा नीति को 34 साल बाद संशोधित किया गया है. नई नीति के तहत प्रायोगिक आधार पर क्षेत्रीय भाषाओं को भी शामिल किया गया है. कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में, छात्रों के पास 2022 से बहुविकल्पीय और विश्लेषणात्मक प्रश्नों की संख्या अधिक होगी. स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थान छात्रों को उनकी रुचि और योग्यता के आधार पर विषयों को चुनने की अनुमति देंगे.
शिक्षा नीति में प्रस्तावित एक बड़ा बदलाव विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसरों की स्थापना की अनुमति देना और पाठ्यक्रमों के लिए पूर्ण प्रवेश-निकास लचीलापन देना है.
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