सरकारी कामकाज में तेजी लाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने बुधवार को भोपाल में 'ई-मेल नीति' को मंजूरी दे दी है। इस तरह की नीति को मंजूरी देने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, 'सरकारी कामकाज और लोक सेवाओं के प्रदाय में तेजी के लिए मध्यप्रदेश में पहले से ही किए जा रहे सूचना प्रौद्योगिकी के श्रेष्ठ उपयोग की अगली कड़ी में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में मध्यप्रदेश शासन की 'ई-मेल नीति-2014' को मंजूरी दी गई'।
इसी के साथ इस तरह की नीति को मंजूरी देने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।
ई-मेल नीति का मुख्य उद्देश्य ई-मेल द्वारा किए गए पत्र-व्यवहार तथा आंकड़ों के सम्प्रेषण को वैधानिक स्वरूप प्रदान करना है। साथ ही मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदत्त ई-मेल सुविधा तक उपयोगकर्ताओं की पहुंच और उपयोग सुनिश्चित करना भी इसका उद्देश्य है।
ई-मेल के माध्यम से सभी सुविधाएं हर विभाग, कार्यालयों, संवैधनिक संस्थाओं और स्वायत्तशासी संस्थाओं को, जो अपनी निधि मध्यप्रदेश की संचित निधि से प्राप्त करती हैं, नि:शुल्क प्रदाय की जाएंगी। नीति द्वारा ई-मेल सुविधाओं को वैधानिक स्वरूप प्रदान करने तथा उनके उपयोग के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार राज्य शासन के विभिन्न विभाग तथा उनके अनुषांगिक संगठन, निगम, मंडल आदि में कार्यरत उन सभी कर्मचारियों को ई-मेल नीति का पालन करना अनिवार्य होगा, जो इस सुविधा का उपयोग करते हैं। वर्तमान में ई-मेल के माध्यम से किए गए पत्र-व्यवहार एवं प्रेषित किए गए दस्तावेज का मैन्युअल अथवा परम्परागत पत्र-व्यवहार की भांति स्वीकार्यता किसी नीतिगत प्रक्रिया के माध्यम से प्राधिकृत न :न: होने से ई-मेल का उपयोग कर किए गए कार्यो एवं लिए गए निर्णयों की वैधानिकता को प्रश्नगत किया जा सकता है।
अब ई-मेल नीति लागू को जाने से यह समस्या समाप्त हो जाएगी और ई-मेल आधारित संवाद को स्वीकृत एवं सर्वमान्य संवाद की श्रेणी में औपचारिक रूप से सम्मिलित किया जा सकेगा।
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