पूर्वी लद्दाख में करीब 17 महीने से चीन के साथ तनातनी (India China Face-Off) के बीच सेना सरहद पर अपनी ताकत और बढ़ाने में जुटी है खासकर पहाड़ी इलाको में. अमेरिका से खरीदे गए हल्के एम 777 होवित्जर गन (तोप) (M777) की तैनाती से सेना की मारक क्षमता में और इज़ाफ़ा हुआ है. ऐसी 145 गन लेने का सौदा अमेरिका से हुआ है. इसकी तीन रेजिमेंट बन गई है. एम 777 की कुल सात रेजिमेंट बननी है. 30 किलोमीटर तक के टारगेट को यह गन आसानी से बर्बाद कर सकती है. साथ ही वजन में हल्की होने की वजह से इसे आसानी से कम समय में एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाया जा सकता है. अमेरिका से लिए गए चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिये भी इसे कहीं भी ले जाकर तैनात किया जा सकता है.
सेना के आर्टिलरी के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल टी के चावला ( Lt Gen T K Chawla) ने कहा कि हमें ऐसी ही और गन चाहिए, जो किसी भी इलाके में आसानी से मूव कर सके. पहाड़ी इलाकों में तो गन को ले जाना काफी मुश्किल होता है. इस आधुनिक एम 777 गन के साथ दूसरी हल्की गन एमएम 105 तोप पूर्वी लद्दाख में तैनात किए गए हैं, जो पुराने होने के बावजूद अब भी इन पहाड़ी इलाको में काफी भरोसेमंद व कारगर हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल चावला ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में के-9 व्रज तोप की तैनाती भी की गई है. इससे मारक क्षमता में काफी इजाफा हो जाएगा. अब आसानी से सेना 18 से 52 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेद सकती है.
आर्टिलरी के डीजी ने यह भी कहा कि बॉर्डर रोड्स जिस तरह से फॉरवर्ड एरिया में बन रही है उससे हम अपने हथियारों को ज़्यादा लोकेशन पर तैनात कर सकेंगे. सेना की कोशिश है कि इन तोप के जरिये वो एलएसी (LAC) पर अपनी सामरिक पोजिशन को और मजबूत कर पाएगी. साथ ही दुश्मन की किसी भी हरकत का करारा जवाब दे पाएगी.
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